सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भोपाल स्थित दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा त्रिदिवसीय राष्ट्रीय शोधार्थी समागम-2025 का आयोजन किया गया, जिसका समापन हुआ। इस समागम में देशभर के 25 राज्यों से 280 से अधिक प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया।


समापन सत्र में प्रमुख वक्ताओं ने निम्नलिखित विचार व्यक्त किए:
आचार्य मिथिलेश नन्दिनीशरण महाराज: उन्होंने शोधार्थियों से भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुसरण करते हुए शोध में भारतीयता को स्थापित करने का आह्वान किया। उन्होंने उदाहरण दिया कि हनुमान ने माता जानकी की खोज के लिए लंका में प्रयास किया, जिससे शोध में मूल को पहचानने का महत्व स्पष्ट होता है।


पद्मश्री कपिल तिवारी: उन्होंने वाचिक परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में लोक की परंपरा आज भी विद्यमान है, जबकि पश्चिम में यह छिन्न-भिन्न हो गई है। उन्होंने करमा नृत्य का उदाहरण देते हुए बताया कि यह भारत में 26 शैलियों में किया जाता है, जो विश्व में अद्वितीय है।
निदेशक मौली कौशल: उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा निरंतरता में है और शोध की पद्धति लोक से कट गई है, जिसे पुनः जोड़ने की आवश्यकता है।


इस समागम में ‘नैमिष-वार्ता’ नामक सत्रों में जीवन से जुड़े अनेक प्रश्नों पर खुलकर चर्चा हुई, जिसमें शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। इसके अलावा, जनजातीय समाज के जीवन पर केंद्रित शोध प्रस्तुतिकरण भी सराहे गए।
दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक मुकेश मिश्रा ने समापन सत्र में आभार व्यक्त करते हुए शोधार्थियों से भविष्य की शोध योजना बनाकर कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि इस सफल आयोजन के बाद अगले वर्ष फिर से राष्ट्रीय शोधार्थी समागम का आयोजन किया जाएगा।

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