सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में सतत विकास लक्ष्य 4 के संदर्भ में महर्षि दयानंद सरस्वती एवं सर्व समावेशी शिक्षा विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन प‌द्मश्री अभिराज राजेंद्र मिश्र, पूर्व कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, के मुख्या आतिथ्य एवं डॉ रेखा नायक, प्राचार्य डीएवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोपाल के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।
समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो रमाकांत पांडेय निदेशक केंद्रीय संस्कृत विश्ववि‌द्यालय भोपाल परिसर ने की।
समापन सत्र के प्रारंभ में डॉ रमण मिश्र ने समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारतवर्ष अनेक महापुरुषों की जन्मभूमि रहा है महर्षि दयानंद सरस्वती भारत के ऐसे ही एक महान सपूत थे जिनके सिद्धांत व शिक्षाएं न सिर्फ भारतवर्ष शब्द अपितु संपूर्ण विश्व के लिए सदैव प्रासंगिक रही हैं।
समस्त अतिथियों ने इस सम्मेलन में महर्षि दयानंद सरस्वती पर आधारित अपने शोध लेखर्खा व व्याख्यानों से समस्त छात्रों व शोधकर्ताओं को लाभान्वित किया है। संगोष्ठी संयोजक प्रो. सोमनाथ साहू ने सम्मेलन का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि संपूर्ण भारतवर्ष से अनेक वि‌द्वानों ने सम्मेलन में अपनी सहभागिता दर्ज की। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में 65 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत हुए एवं 7 विशिष्ट व्याख्यान संपन्न हुए।
मुख्य अतिथि प्रो अभिराज राजेंद्र मिश्र ने महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं पर बात करते हुए कहा कि भारत में शिक्षा सदैव ही अत्यंत महत्वपूर्ण विषय रहा है। हमारे महापुरुषों ने शिक्षा को सर्वजन तक पहुंचाने के लिए सदैव महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने समाज के सभी वर्गों को एक करते हुए भारत में मातृभूमि के प्रति सम्मान बनाने वाली शिक्षा तथा संपूर्ण विश्व को साथ लेकर चलने वाली शिक्षा का प्रतिपादन किया है।
विशिष्ट अतिथि डॉ रेखा नायक ने केंद्रीय संस्कृत विश्ववि‌द्यालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के लिए आयोजन कर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन एवं संगो० ष्ठयां अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारतीय शिक्षा को भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक बनाते हुए नई पीढ़ी को तैयार करने में ऐसे सम्मेलनों व संगोष्ठियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक प्रो रमाकांत पांडेय ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान समय पुनर्जागरण का ही समय है क्योंकि नई शिक्षा नीति के द्वारा हम अंग्रेजों द्वारा स्थापित बेड़ियों को तोड़ते हुए भारतीय संस्कृति व सम्मान
सत्र के अंत में सम्मेलन के सचिव प्रो अशोक कुमार कछवाहा वाहा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र का संचालन डॉ कालिका प्रसाद शुक्ल ने किया।