सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड- न्यूज़ भोपाल : शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में 3 जून से 23 जून तक रंगमंच के मूल तत्व एवं संस्कृत नाटकों के निर्देशन पर 21 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला देश में विभिन्न राज्यों से 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया ,जिनमें उत्तराखंड ,हिमाचल प्रदेश ,जम्मू ,अगरतला, उड़ीसा, हरियाणा, तमिलनाडु आदि हैं ।
प्रशिक्षण देने हेतु देश के रंगमंच के प्रख्यात विद्वानों कलाकारों का आगमन हुआ जिनमें प्रमुख रूप से प्रो.योगेश सोमन निदेशक रंगमंच कला अकादमी मुंबई विश्वविद्यालय, प्रख्यात साहित्यकार एवं नाट्य शास्त्र के मर्मज्ञ राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति राधावल्लभ त्रिपाठी, नृत्यांगना ऐश्वर्या हरीश, कथक नृत्य के विद्वान पद्मश्री पुरु दाधीच प्रमुख थे। आज दिनां 23 जून को इस कार्यशाला का समापन समारोह हुआ ।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के माननीय कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी जी के संरक्षण में यह कार्यशाला आयोजित हुई। में मुख्य अतिथि के रूप में महर्षि पाणिनी संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति सी जी विजय कुमार मेनन ,विशिष्ट अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली, कुलसचिव रा.गा.मुरली कृष्ण एवं सारस्वत अतिथि सुरेश कुमार जैन उपस्थित रहे । समापन सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर की निदेशक रमाकांत पांडेय जी ने की।
मुख्यअतिथि सी जी विजय कुमार मेनन ने अपने उद्बोधन में कहा कि, वर्तमानसमय मे संस्कृत रंगभूमी को लेका कार्याशाला आयोजित करना यह निश्चित ही एक अलग उपक्रम है | मेनन जी ने बताया की संस्कृत नाटक को पाठ्यक्रम में विशेष रूप से पढ़ाने की और प्रयोग कराने की आवश्यकता है| विशिष्ट अतिथि रा.गा. मुरली कृष्ण ने बताया कि, संस्कृत नाटकोके प्रयोग देश विदेश में हो इस लिये केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय सदैव आवश्यक निधी तथा सामग्री उपलब्ध करायेगा |
सारस्वत अतिथि सुरेश जैन ने अपने वक्तव्य में कहा, भारतीय साहित्य में परिष्कार के लिए संस्कृत नाटक की आज भी आवश्यकता क्या है | अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक रमाकांत पांडे जी ने कहा कि, नाट्यशास्त्र अध्ययन अनुसंधान केंद्र भोपाल परिसर में नाट्य प्रशिक्षण का काम निरंतर करता रहेगा और संस्कृत रंगभूमि पर नए-नए प्रयोग यह होते रहेंगे | केरल के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक सुरेश बाबू के मार्गदर्शन में संस्कृत नाट्य मुक्तिवर्षम की प्रस्तुति हुई। उरुभंगम तथा वेणीसंहराम इन दोनों रूपकों का संयोजन करके इस नाटक का निर्माण किया गया। यह प्रस्तुति कार्यशाला के प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत की गई । कार्यशाला के समन्वयक डॉ प्रसाद भिड़े एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. आयुष दीक्षित ने किया।