सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /  आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : रामानंद सागर की ‘रामायण’ भारतीय टेलीविजन इतिहास का वह अध्याय है, जिसे देखकर आज भी दर्शक भावनाओं में बह जाते हैं। 1987 में दूरदर्शन पर प्रसारित यह पौराणिक धारावाहिक न केवल एक धार्मिक गाथा है, बल्कि इसमें दर्शाए गए कई दृश्य इतने भावुक हैं कि उन्हें देख आज भी आंखें भर आती हैं। कोरोना लॉकडाउन के दौरान जब इसे दोबारा प्रसारित किया गया, तब नई पीढ़ी ने भी इसकी भावनात्मक गहराई को महसूस किया।

इनमें सबसे पहला दृश्य है — जब भगवान श्रीराम को वनवास मिलता है और माता सीता बिना किसी हिचकिचाहट के उनके साथ जाने का निर्णय लेती हैं। सीता का यह त्याग और समर्पण, हर भारतीय नारी के आदर्श को दर्शाता है।

दूसरा दृश्य है — जब भरत श्रीराम को वापस लाने के लिए वन में जाते हैं और उनके चरणों में गिर जाते हैं। यह भाईचारे की पराकाष्ठा को दर्शाने वाला क्षण हर दिल को छू जाता है।

तीसरा भावुक दृश्य — लक्ष्मण की मूर्छा का है, जब हनुमान संजीवनी बूटी लाते हैं और सभी की जान में जान आती है। इस क्षण में राम और सीता का दर्द देखने योग्य होता है।

चौथा दृश्य — रावण वध के बाद विभीषण का राज्याभिषेक, जहां श्रीराम सभी मर्यादाओं का पालन करते हुए शत्रु पुत्र को सम्मान देते हैं।

पांचवां और सबसे हृदयविदारक दृश्य — जब सीता माता पृथ्वी में समा जाती हैं। यह क्षण हर दर्शक के लिए अत्यंत भावुक और अविस्मरणीय है।

रामायण के ये पांच दृश्य आज भी भारतीय टेलीविजन इतिहास के सबसे भावनात्मक पलों में गिने जाते हैं।

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