आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल । भारत की इस पावन धरा पर समय -समय पर देव -असुर संग्राम हुये है ,तो वही यह धरा राम -रावण युद्ध तथा पांडवों और कौरवों के संघर्ष की साक्षी रही हैं
आज फिर वहीं घूम -फिर कर सत्य व असत्य के मूल्य,न्याय और अन्याय के मध्य दैवीय एवं आसुरी शक्तियों के बीच संघर्ष का समय आ गया प्रतीत होता है, पहले पहल तो तथाकथित मीडिया द्वारा ऐसा जनमानस में संदेश देने का प्रयास किया गया कि यह तो राहुल गांधी जी है बाबा है बच्चा है अथॉत उसे अभिमन्यु बनाकर चक्रव्युह में फंसाने का कुत्सित प्रयास किया गया ,परंतु राहुल गांधी जी द्वारा निरंतर प्रयास करके यह सिद्ध किया गया की वह पांडव तो है परंतु वह अभिमन्यु का पर्याय न होकर अर्जुन का पर्याय है और जनता रूपी कृष्ण को वह लोकतंत्र के इस समर में आश्वस्त करना चाहते हैं कि वह निडर हैं और कौरव रूपी भाजपा को परास्त करने में सक्षम है, आज राहुल गांधी जी वर्तमान समय की कृष्ण रूपी जनता से लोकतंत्र के काले अध्याय के संघर्ष के दौर यह कहना चाहते है
"हे सारथे हैं द्वौण क्या
आएं स्वयं देवेन्द्र भी
वे भी न जीतेगें समर में
आज क्या मुझे कभी
मैं सत्य कहता हूँ सखे
सुकुमार मत जानो मुझे
यमराज से भी युद्ध को
प्रस्तुत सदा जानों मुझे
महाभारत का युद्ध सिर्फ कौरवो और पांडवों के बीच नहीं था अपितु सत्य और असत्य था ,न्याय और अन्याय के मध्य था यह संशाधन विहिन के मध्य था,यह मनमाना पन और नैतिकता के मध्य था ,यह धृतराष्ट्र की अंधी आंखें और विदुर के नीति के मध्य था ,आज इस कथानक की प्रासंगिकता क्यो आन पडी ,इस बात को समझने की भारतीय जनमानस को अति आवश्यकता है, और इसी बात को जनमानस रे मन तक गहरे में उतारने के लिए राहुल गांधी जी को दक्षिण से उत्तर तक भारत जोड़ो यात्रा व्यथित मन से मन करनी पडी है ,
आज का दौर और महाभारत के समय में बहुतेरी समानता है ,पांडवों द्वारा विनम्रता से पांच गांवों का राज मांगना कौरवों द्वारा सुई की नौक के बराबर जमीन न दिया जाना दौपदी का चीर हरण होना, लाक्षाग्रह में पांडवों की मौत का उत्सव मनाना, भीष्मपिता माह का निरंतर अपमान किया जाना यह सभी घटनाऐं आज के समय में पुनरावृत्ति का रूप ले रही है,विपक्ष द्वारा शासित राज्यों को एक एक कर धन बल ,बाहू बल ,छल,कपट, द्वारा उनकी सरकारों का समूल नाश कप देना लोकतंत्र के चीरहरण जैसा है ,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ,श्रीमती इंदिरा गांधी जी ,श्री राजीव गांधी जी की सहादत को हरपल जीने वाले राहुल गांधी जी का हर दम मजाक बनाना, कौरवों के दम्भ का परिचायक है ,
देश का सवोॅच्च न्ययालय के न्यायधीशों का प्रेस वार्ता के माध्यम से देश की जनता से रूबरू होकर या बताना की सुप्रीम कोर्ट भी सत्ता की जन्जीरों में जकडा हुआ है ,क्या सी बी आई ,सी ई सी ,सी ए जी,राज्यपाल,न्यायपालिका ,मीडिया एवं तमाम राष्ट्रीय साख वाली संस्थाओं की साख सुरक्षित है,क्या आम जनमानस इन पर भरोसा करने को तैयार है ,क्या किसी की बात कहीं सुनी जावेगी ,इसमें संदेह है ,ऐसे अनिश्चितता,भय एवं अविश्वास रे माहौल के जो बादल देश पर मंडरा है ,इन्ही को दूर करने के लिए राहुल गांधी जी को आगे आना पडा है और एक ऐसे महाप्रयाण की ओर निकलना पडा है , जो आम भारतीय जनमानस को यह सोचने पर मजबूर कर दे कि यादि आज इस व्यक्तिगत स्वतंत्रता की लडाई में हमने साथ नही दिया तो आने वाली पीढ़ीयां हमें कभी माफ नही करेंगी,क्या उत्तर क्या दक्षिण क्या पूरब क्या पश्चिम इनकी गलत नीतियों से पूरा देश परेशान है ,मुठठी भर समर्थन मांगा था,झोली भरकर दिया था ,और आज अपने आपको देश ठगा महसूस कर रहा है था वह भी नही बचा है आज आम भारतवासी की व्यथा है जौ कुछ पंक्ति के माध्यम से समाने है
"क्यूं जिंदगी की राह में मजबूर हो गये,इतने हुए करीब के हम दूर हो गये , पाया तुम्हें तो लगा की खूद को खो दिया हम दिल पर रोये और दिल हम पर रो दिया ,क्यूं इसके फैसले हमें मंजूर हो गये ,
चाहे वह भगवान राम लक्ष्मण की यात्रा रही हो,या फिर पांडवों की यात्रा,या फिर शंकराचायॅ जी की दक्षिण से उत्तर तक यात्रा रही हो या यात्रा चाहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की दांडी यात्रा रही हो आज संपूर्ण देश में साम्प्रदायिक सद्भाव का माहौल बनाने व संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में पिरोन लिए राहुल गांधी जी ने जो मुहिम चला रही है उसका असर अब देखते ही बन रहा है ,क्यो कि महानता के वंश में महानता के बीज स्वत: ही पनपते है ,पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ,श्रीमती इंदिरा गांधी जी ,श्री राहुल गांधी जी के वंश में यह होना तो स्वाभिवक ही था ,
बात उनकी महानता के गुणगान की नहीं ,है बात है इस देश को बचाने की जब यह देश रहेगा तो इसकी परंपराऐं सुरक्षित रहेंगी ,संस्कृति सुरक्षित रहेगी तभी तो यह फलेगा फूलेगा और नपये सौपान तय करेगा ,
आज के महाभारत में कृष्ण रूपी जनता ने राहुल गांधी रूपी अर्जुन पर जो भरोसा जताया है ,वह उस विश्ववास पर खरे हा नही उतरेगे वरन इस बिगडी हुई बात को बनाने की भी पूरी कोशिश करेंगे ,साथ ही देश को एक नये मुकाम पर पहुंचने का सार्थक प्रयास करेंगे ,आशा ही नही पूर्ण विश्ववास है
उक्त जानकारी संस्थान के जनसंपर्क विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति द्वारा दी गई।