सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की नागरिकता विवाद में आज, शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी याचिका की संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा। जिसमें राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती दी गई है।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार के वकील से व्यापक इनपुट मिलने तक आगे के निर्देशों को स्थगित कर दिया है।

अदालत ने स्वामी की याचिका पर औपचारिक नोटिस जारी करने की प्रारंभिक इच्छा दिखाई। हालांकि, केंद्र के प्रॉक्सी वकील द्वारा पीठ को सूचित किए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया कि मामले में सरकार के पिछले प्रतिनिधि को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया है और नए वकील को मामले में पूरी तरह से शामिल होने के लिए समय चाहिए। अब मामले की सुनवाई 13 जनवरी, 2025 को होगी।

पिछली सुनवाई पर 6 नवंबर को हाईकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल करने वाले विग्नेश शिशिर को दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

दरअसल, शिशिर ने दावा किया है कि राहुल के पास ‘लाल रंग’ का पासपोर्ट है, जिस पर ब्रिटिश सरकार की मुहर लगी है। भारत में नागरिकता कानून के तहत कोई भी व्यक्ति दोहरी नागरिकता नहीं ले सकता है। शिशिर की याचिका पर सुनवाई करते हुए लखनऊ बेंच ने गृह मंत्रालय से 19 दिसंबर तक बताने को कहा है कि क्या राहुल गांधी के पास दो देशों की नागरिकता है?

दिल्ली हाईकोर्ट में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका दाखिल की थी। उन्होंने राहुल की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की है। पिछली सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मैंने कई लेटर लिखे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि लखनऊ हाईकोर्ट में दायर कार्यवाही के बारे में क्या जानकारी है? सुब्रमण्यम स्वामी ने जवाब दिया कि इसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है।

दिल्ली और लखनऊ हाईकोर्ट में एक जैसी याचिका सुब्रमण्यम ने कहा, मुझे बस अपनी शिकायत से मतलब है। प्रक्रिया के बारे में गृह मंत्रालय से जवाब चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि लखनऊ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका काफी व्यापक लगती है। हम नहीं चाहते कि दो हाईकोर्ट में एक जैसी दो याचिकाएं लंबित रहें। सुब्रमण्यम ने कहा कि लेकिन हमें इसकी बिल्कुल भी चिंतित नहीं करनी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता पर पहले से ही जांच चल रही है। स्वामी ने कहा कि इससे हमारा क्या लेना-देना है? कोर्ट ने कहा कि लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले लोग हमारे सामने आएं और हलफनामा दाखिल करें।

स्वामी ने कहा कि मैं आपराधिक या सिविल कार्यवाही की मांग नहीं कर रहा हूं। मैं केवल उनकी नागरिकता पर सवाल उठा रहा हूं। हम बस इतना कह रहे हैं कि आप 2 देशों के नागरिक नहीं हो सकते। मैंने अपना पहला प्रतिनिधित्व 2019 में दायर किया और सरकार ने 5 साल तक कुछ नहीं किया।

कोर्ट ने कहा कि दूसरे याचिकाकर्ता को हलफनामा दायर करने दें। विग्नेश शिशिर ने कोर्ट के सामने वर्चुअली पेश होकर हमें बताया कि राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाने वाली उनकी याचिका पर लखनऊ हाईकोर्ट ने जांच के निर्देश दिए हैं। इसलिए, उनके अनुरोध पर, उन्हें 2 सप्ताह के भीतर उक्त हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी गई।

कोर्ट ने राहुल के खिलाफ फैसला दिया तो क्या होगा, जानिए…

सवाल 1: अगर राहुल के पास दो पासपोर्ट साबित हो गए तो क्या होगा? जवाब: अगर राहुल गांधी दो पासपोर्ट केस में दोषी पाए जाते हैं, तो उन पर भारतीय संविधान के आर्टिकल 9(2) के तहत कार्रवाई की जाएगी। राहुल गांधी पर अपनी नागरिकता छिपाने और गलत जानकारी देने का केस चलेगा।

नागरिकता कानून 1955 के तहत राहुल को कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 5 साल की सजा सुनाई जा सकती है। राहुल पर 50 हजार रुपए जुर्माना या फिर सजा और जुर्माना दोनों लग सकते हैं। इसके अलावा उनकी भारतीय नागरिकता भी स्वतः खत्म हो जाएगी।

सवाल 2: अगर दोषी पाए तो क्या राहुल की सांसदी भी खत्म हो जाएगी? जवाब: लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए भारतीय नागरिकता जरूरी है। अगर राहुल की ब्रिटिश नागरिकता साबित होती है, तो उनकी लोकसभा सदस्यता अपने आप खत्म हो जाएगी। उन्हें भारतीय नागरिक के रूप में कोई भी अधिकार और फायदे नहीं मिलेंगे। फिर राहुल न तो चुनाव लड़ पाएंगे और न ही वोट डाल सकेंगे।

सवाल 3: राहुल गांधी के पास आगे क्या विकल्प हैं? जवाबः वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के मुताबिक, राहुल के ब्रिटिश नागरिक होने के पुख्ता सबूत नहीं है, क्योंकि ब्रिटेन में नागरिकता देते वक्त एक शपथ समारोह का आयोजन किया जाता है। राहुल गांधी के ऐसे किसी समारोह की जानकारी नहीं है। इसलिए इस बात के चांस बढ़ जाते हैं कि वे ब्रिटेन के नागरिक नहीं है।

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