भाजपा नेत एनडीए ने रचा इतिहास! तीसरी बार मोदी सरकार.

 

सीएनएन इंडिया सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क/ आईटीडीसी न्यूज़/ इंटीग्रेटेड ट्रेड .. न्यूज़ दिल्ली/ भोपाल :  यदि हम एक्ज़िट पोल के नतीजों को कुछ मिनट के लिए भूल जायें तो हम जानेगे कि भारत के सुधि नागरिकों ने प्रजातन्त्र इतिहास को उज्जवल किया है । क्योंकि नागरिकों ने अपने मताधिकार का उपयोग बहुत विवेक से नया इतिहास रचा है। हालांकि यह चुनाव किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं  दे सका परंतु गठबंधन के रूप में एक सफल सरकार की संभावना और अपेक्षा से किसी को गुरेज नहीं। इंडिया गठबंधन ने भी अपने प्रयासों को परिणाम में बदला और दो शतक लगभग सीटस के रूप में लोकसभा के पटल पर ला दिया।

गठबंधन सरकार का इतिहास मिलाजुला है परंतु आज के भाजपा नेत गठबंधन से परे उम्मीदें लेकर हम सभी चल रहे हैं। अब सरकार के पास सहयोगी पार्टीज़ के साथ भाईचारा बनाना, सौहार्द संबंध बनाने का नया अनुभव लेना होगा। इस सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं जिसमें गरीबी और बेरोजगारी सबसे आगे हैं। इन मुद्दों को सही से संबोधित करना अहम ज़िम्मेदारी है जिससे भाजपा नेत सरकार अब मुंह नहीं चुरा पाएगी। लोकसभा परिणाम यही कह रहें हैं। आर्थिक नीतियों को सुधार देना होगा।  वहीं विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन सरकार जरूरी नहीं कि शेयर बाजार के लिए खराब हो, लेकिन सरकार को अपने कार्यकाल के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना बनानी चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि भले ही सरकार बदलने या कमजोर गठबंधन बनने से बाजार की धारणा पर तेज असर पड़ेगा, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि भारत में कई अच्छी चीजें हो रही हैं जो सरकार से स्वतंत्र हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इन अच्छी चीजों में युवाओं की अच्छी संख्या, शिक्षित लोगों का बड़ा वर्ग, भारत का विशाल घरेलू बाजार, पिछले सुधारों का कुल प्रभाव और साथ ही वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव जैसे सप्लाई चेन में बदलाव और डिजिटलीकरण का तेजी से बढ़ना शामिल है।

इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार की नीतियों के बदलाव का कोई असर नहीं होगा, लेकिन इतना जरूर है कि हमें लंबे समय के आकलन में बहुत ज्यादा निराश या उत्साहित नहीं होना चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाले कमजोर गठबंधन में भी सुधारों की रफ्तार लगभग समान रहने की संभावना है, लेकिन कुछ कड़े फैसले जैसे विनिवेश (सरकारी संपत्ति बेचना), जमीन अधिग्रहण कानून और समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने में देरी हो सकती है या इन्हें टाला जा सकता है।

नई सरकार की संभावना की प्रथम बधाई मोदी नेत एनडीए गठबंधन को जाती है।

यदि हम एक्ज़िट पोल के नतीजों को कुछ मिनट के लिए भूल जायें तो हम जानेगे कि भारत के सुधि नागरिकों ने प्रजातन्त्र इतिहास को उज्जवल किया है । क्योंकि नागरिकों ने अपने मताधिकार का उपयोग बहुत विवेक से नया इतिहास रचा है। हालांकि यह चुनाव किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं  दे सका परंतु गठबंधन के रूप में एक सफल सरकार की संभावना और अपेक्षा से किसी को गुरेज नहीं। इंडिया गठबंधन ने भी अपने प्रयासों को परिणाम में बदला और दो शतक लगभग सीटस के रूप में लोकसभा के पटल पर ला दिया।

गठबंधन सरकार का इतिहास मिलाजुला है परंतु आज के भाजपा नेत गठबंधन से परे उम्मीदें लेकर हम सभी चल रहे हैं। अब सरकार के पास सहयोगी पार्टीज़ के साथ भाईचारा बनाना, सौहार्द संबंध बनाने का नया अनुभव लेना होगा। इस सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं जिसमें गरीबी और बेरोजगारी सबसे आगे हैं। इन मुद्दों को सही से संबोधित करना अहम ज़िम्मेदारी है जिससे भाजपा नेत सरकार अब मुंह नहीं चुरा पाएगी। लोकसभा परिणाम यही कह रहें हैं। आर्थिक नीतियों को सुधार देना होगा।  वहीं विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन सरकार जरूरी नहीं कि शेयर बाजार के लिए खराब हो, लेकिन सरकार को अपने कार्यकाल के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना बनानी चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि भले ही सरकार बदलने या कमजोर गठबंधन बनने से बाजार की धारणा पर तेज असर पड़ेगा, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि भारत में कई अच्छी चीजें हो रही हैं जो सरकार से स्वतंत्र हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इन अच्छी चीजों में युवाओं की अच्छी संख्या, शिक्षित लोगों का बड़ा वर्ग, भारत का विशाल घरेलू बाजार, पिछले सुधारों का कुल प्रभाव और साथ ही वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव जैसे सप्लाई चेन में बदलाव और डिजिटलीकरण का तेजी से बढ़ना शामिल है।

इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार की नीतियों के बदलाव का कोई असर नहीं होगा, लेकिन इतना जरूर है कि हमें लंबे समय के आकलन में बहुत ज्यादा निराश या उत्साहित नहीं होना चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाले कमजोर गठबंधन में भी सुधारों की रफ्तार लगभग समान रहने की संभावना है, लेकिन कुछ कड़े फैसले जैसे विनिवेश (सरकारी संपत्ति बेचना), जमीन अधिग्रहण कानून और समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने में देरी हो सकती है या इन्हें टाला जा सकता है।

नई सरकार की संभावना की प्रथम बधाई मोदी नेत एनडीए गठबंधन को जाती है।