सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में प्रबंधन तथा मानविकी एवं उदार कला संकाय के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (आईसीएसएसआर) द्वारा प्रायोजित 10 दिवसीय रिसर्च मेथोडोलॉजी कोर्स वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मान. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल, विशिष्ट अतिथि पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी, प्राचार्य सरोजिनी नायडू गवर्नमेंट गर्ल्स पीजी कॉलेज भोपाल उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे जी ने की। कार्यक्रम में प्रो-चांसलर डॉ अदिती चतुर्वेदी वत्स, आईटीडीपीआर के कार्यकारी निदेशक प्रो अमिताभ सक्सेना, प्रतिकुलपति डॉ संगीता जौहरी, डीन एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डॉ रचना चतुर्वेदी, डॉ नेहा माथुर और डॉ सावित्री परिहार विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तदोपरांत डॉ. संगीत जौहरी द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया।

ICSSR 10-day Research Methodology Course Workshop inaugurated at Rabindranath Tagore University
इस अवसर पर नरेंद्र शिवाजी पटेल ने संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्पराओं और मान्यताओं को स्थापित करने में शोध एवं अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका रही। हर विधा-हर क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परम्परा के युगानुकुल एवं वर्तमान वैश्विक आवश्यकतानुरूप, पुनः शोध एवं अनुसंधान कर दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है। शिक्षा में भारतीयता के भाव के समावेश और समाज में श्रेष्ठ नागरिक निर्माण के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा को शिक्षा में समाहित करने के लिये कार्यशालाओं एवं संगोष्ठियों का आयोजन प्रासंगिक, महत्वपूर्ण और अत्यंत उपयोगी है।
वहीं श्री चौबे जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति मौलिक शोध तथा अंतर-विषय शोध तथा शिक्षा को बढ़ावा देती है। शोधार्थी को इस बात का ख्याल रखना चाहिए की शोध व्यवहारिक तथा समाजोपयोगी हो जिससे समाज तथा राष्ट्र सीधे तौर पर लाभान्वित हो सके। शोध यथार्थ हो तथा यह क्रमबद्ध होने के साथ ही तथ्य तथा सत्य को पोषित करे। वर्तमान में मार्केट सोसाइटी को ह्यूमन सोसाइटी में बदलने की आवश्यकता है, हमारे सामाजिक संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
इस मौके पर पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी जी ने अपने संबोधन में कहा कि भीतर के शोर को सुर में बदलना ही शोध है। आंतरिक जिज्ञासा शोध की मूल शर्त है इसे दबाएं नहीं बल्कि इसे पुष्पित और पल्लवित करें। वहीं प्रो अमिताभ सक्सेना ने कहा कि हिंदी में शोध की अनेक संभावनाएं हैं। शोध के लिए अंग्रेजी की तरफ भागने की आवश्यकता नहीं है। आज हिंदी में और भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री का विपुल भंडार है। शोध उन विषयों पर करें जो आम जन के जीवन में बेहतरी लाए, साथ ही जो सत्य को उद्घाटित करे।
इस कार्यशाला में देश भर के कुल 30 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रतिभागी शोधार्थी देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए हुए हैं। शोधार्थियों की विविधता के साथ ही इस 10 दिवसीय कार्यशाला में शोध के विभिन्न आयामों पर प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में डॉ अदिती चतुर्वेदी वत्स ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। उद्घाटन सत्र में प्रतिकुलपति डॉ संगीता जौहरी द्वारा मंच का संचालन किया गया।