सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : कला, साहित्य एवं संस्कृति के लिए समर्पित वनमाली सृजनपीठ द्वारा तीन दिवसीय “वनमाली कथा समय एवं राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान समारोह” का आयोजन किया जा रहा है। यह भव्य आयोजन 21 फरवरी 2025 तक रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय के परिसर में होगा। इस अवसर पर चार श्रेणियों में प्रतिष्ठित रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा।
राष्ट्रीय कविता सम्मान की घोषणा
विष्णु खरे की स्मृति में स्थापित राष्ट्रीय कविता सम्मान के अंतर्गत निम्नलिखित रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा |
विष्णु खरे आलोचना सम्मान – नंदकिशोर आचार्य (बीकानेर) विष्णु खरे अनुवाद सम्मान – ए. अरविंदाक्षन (केरल) विष्णु खरे कविता सम्मान – लीलाधर मंडलोई (नई दिल्ली) विष्णु खरे युवा कविता सम्मान – पार्वती तिर्की (झारखंड) समारोह के प्रमुख आकर्षण 🔹 20 फरवरी:”समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता का परिदृश्य और वनमाली कथा” “परिचर्चा: मलयालम में हिंदी के रचनाकार” टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों द्वारा संतोष चौबे की कहानी “लेखक बनाने वाले” की नाट्य प्रस्तुति।
कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण, जिनमें शामिल हैं: “वनमाली की कहानियों से गुजरते हुए” – लता अग्रवाल “वनमाली – एक कृति व्यक्तित्व” “हिंदी के अपराजेय कवि विष्णु खरे” वनमाली कथा प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान। 🔹 21 फरवरी: “कृत्रिम बुद्धिमत्ता के परिप्रेक्ष्य में कहानी का भविष्य” विषय पर संगोष्ठी। राष्ट्रीय विष्णु खरे सम्मान समारोह, जिसमें चयनित रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा।
“विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड–2025” का पोस्टर लॉन्च।
“…और नाज़ मैं किस पर करूं” – विष्णु खरे की कविताओं पर आधारित नाट्य प्रस्तुति।
सम्मानित रचनाकारों का परिचय
लीलाधर मंडलोई: उनकी कविताओं में छत्तीसगढ़ की बोली और जनजीवन का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। वे पुश्किन सम्मान, नागार्जुन सम्मान, रज़ा सम्मान जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।
नंदकिशोर आचार्य: वे एक प्रख्यात आलोचक हैं, जिन्होंने 12 कविता संग्रह, 8 नाटक, 7 आलोचना कृतियाँ, और 12 सामाजिक-दर्शन संबंधी पुस्तकें लिखी हैं। वे मीरा पुरस्कार, बिहारी पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जैसे सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
ए. अरविंदाक्षन: वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति रह चुके हैं। वे एक प्रसिद्ध अनुवादक और साहित्यकार हैं, जिन्होंने हिंदी और मलयालम में कई महत्वपूर्ण रचनाओं का अनुवाद किया है।
पार्वती तिर्की: युवा कवियत्री पार्वती तिर्की आदिवासी जीवन, संस्कृति और लोकगीतों से जुड़ी रचनाओं के लिए जानी जाती हैं। उनकी प्रमुख कृति “फिर उगना” है।
वनमाली सृजनपीठ का योगदान
स्व. जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ की स्मृति में स्थापित वनमाली सृजनपीठ साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सतत सक्रिय है। वनमाली कथा सम्मान अब तक ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, उदय प्रकाश, अखिलेश, प्रियंवद, गीतांजलि श्री जैसे प्रतिष्ठित रचनाकारों को प्रदान किया जा चुका है। इस वर्ष, राष्ट्रीय कविता पुरस्कार की स्थापना भी की गई है।
यह आयोजन न केवल साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने का प्रयास है, बल्कि युवा रचनाकारों को प्रेरित करने का भी एक मंच प्रदान करता है। भोपाल और मध्यप्रदेश के कई वरिष्ठ साहित्यकार इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

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