भारत का कृषि क्षेत्र, जो देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहा है। सरकारी अनुमान बताते हैं कि प्याज का उत्पादन 20% और आलू का उत्पादन 5% तक गिरने की संभावना है। इस गिरावट के कारण देश में खाद्य महंगाई और आपूर्ति में कमी का खतरा बढ़ गया है, जो आर्थिक स्थिरता को और जटिल बना रहा है।
उत्पादन में गिरावट के प्रमुख कारण:
- मौसमी अनिश्चितता:
इस गिरावट का मुख्य कारण मौसम के पैटर्न में आए अप्रत्याशित बदलाव हैं। अनियमित और अत्यधिक बारिश ने प्रमुख प्याज और आलू उत्पादक राज्यों में फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सूखा और अचानक आई बारिश ने फसल चक्र को बाधित कर दिया, जिससे किसानों के लिए लगातार उत्पादन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। - बढ़ती कृषि लागतें:
उर्वरक, बीज और कीटनाशकों की लागत में तेजी से वृद्धि ने छोटे किसानों पर भारी दबाव डाला है। इनपुट लागत में वृद्धि के कारण किसानों के लाभ में कमी आई है, जिससे वे कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं। - खराब भंडारण सुविधाएं:
प्याज और आलू जैसी नाशवंत फसलों के लिए आवश्यक कोल्ड स्टोरेज की कमी, उत्पादन संकट को और गहरा बना रही है। कटाई के बाद फसलें जल्दी खराब हो जाती हैं, जिसके कारण किसानों को कम कीमत पर अपनी उपज बेचनी पड़ती है।
सरकार के लिए चुनौती
इस संकट से निपटने के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे। बेहतर मौसम पूर्वानुमान, आधुनिक भंडारण सुविधाओं का विकास, और किसानों को उन्नत तकनीक तथा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना समय की मांग है। यदि समय रहते इन चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया, तो देश की खाद्य सुरक्षा और महंगाई नियंत्रण में बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।