रणबीर कपूर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बारे में खुलकर बातचीत की है। उनका कहना है कि वो अपने दादा राज कपूर के एक्टिंग के नहीं बल्कि उनके डायरेक्शन के फैन हैं साथ ही उनका कहना है वो अपने दादा जी की ‘श्री 420′, ’आवारा’, ‘जिस देश में गंगा बहती है’ और ‘प्रेम रोग’ जैसी फिल्में देखना काफी ज्यादा पसंद करते हैं। रणबीर ने कहा है कि उन्हें राज कपूर का पोता होने पर काफी ज्यादा गर्व है। रणबीर का ये भी कहना है कि कपूर खानदान से होने की वजह से उन्हें फिल्मों में आसानी से ब्रेक मिल गया जबकि दूसरों को थोड़ी मुश्किल जरूर होती है।

राज कपूर का पोता होने पर गर्व है

रणबीर कपूर ने कहा – ‘मुझे गर्व है कि मैं राज कपूर का पोता हूं पर कपूर खानदान से होने को एक जिम्मेदारी के तौर पर लेता हूं, बोझ या दबाव के रूप में नहीं। इस बात को मैं ‘ टेकेन फार ग्रांटेड ‘ नहीं लेता। राज कपूर ने हमारे परिवार के लिए जो किया और उनके कारण दुनिया में हमें जो महत्व मिला, इसके लिए मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा। मैं यह नहीं चाहता हूं कि कल कोई ये कहे कि मैं इसलिए फिल्म इंडस्ट्री में हूं क्योंकि मैं राज कपूर का पोता हूं। हां ये बात है मुझे कपूर खानदान से होने का फायदा मिला है।

‘मैं जब छह साल का था तो दादा जी का निधन हो गया, इसलिए मेरे पास उनके साथ की बहुत सी यादें नहीं है सिवाय इसके कि जो कुछ उनके बारे में मैंने अपने माता पिता से सुना और उनकी फिल्मों को देखकर उन्हें जाना। मैंने उनकी फिल्में देखकर जीवन और सिनेमा के बारे में बहुत कुछ सीखा है।’

कलाकार के लिए कोई बाउंड्री नहीं होती

एक पाकिस्तानी फिल्म मेकर ने रणबीर से पूछा कि आज कोई पाकिस्तानी भारत में और कोई हिंदुस्तानी पाकिस्तान में न तो फिल्म बना सकता है न फिल्म में काम कर सकता है तो क्या इन दोनों देशों के बाहर खासकर सऊदी अरब में वो उनकी (पाकिस्तानी फिल्म मेकर) फिल्म में काम करना पसंद करेंगे तो इसके जवाब में रणबीर ने कहा – ‘ क्यों नहीं, एक कलाकार के लिए कोई बाउंड्री नहीं होती। मैं पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री को बधाई देता हूं कि उन्होंने मौला जट्ट जैसी सुपरहिट फिल्म बनाई।

पैरेंटिंग एक चुनौती भरा काम

अपनी न्यू बोर्न बेटी के पालन पोषण को लेकर पूछे गए एक सवाल पर रणबीर कपूर ने कहा ‘ एक बच्ची के पिता होने का सुख कुछ अलग होता है। हमारे लिए वह समय बहुत अलग था। जैसे ही मैं कहता हूं कि मैं एक बच्ची का पिता बन गया हूं, मेरे दिमाग में सितारे झिलमिलाने लगते हैं। मैं साल में 280 दिन काम करता हूं और आलिया मुझसे ज्यादा काम करती है।

बच्ची की देखभाल के लिए हम बारी-बारी से काम से ब्रेक लेते हैं। पैरेंटिंग एक चुनौती भरा काम है। आप चाहते है कि आपको जो जीवन मूल्य विरासत में मिले हैं, वह सब अपने बच्चे को सिखाएं। बच्चों के सामने आपको एक उदाहरण सेट करना होता है।