भोपाल । प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा प्रदूषण से मुक्त होकर सदानीरा बनी रहे, इसके लिए अब सरकार नर्मदा पट्टी में प्राकृतिक खेती की तैयारी में है। प्रदेश के साथ निमाड़ में खरगोन, बड़वानी व खंडवा जिलों की 7 तहसीलों में नर्मदा किनारे के 10 किलोमीटर क्षेत्र में लगभग 2 लाख हेक्टेयर रकबे में प्राकृतिक खेती होगी। इसमें सबसे ज्यादा रकबा कृषि मंत्री कमल पटेल के प्रभार वाले खरगोन जिले में 1.50 लाख हेक्टेयर है।

अफसरों का कहना है कि रसायन से मुक्त होकर नर्मदा सदानीरा बनेगी। खरगोन कृषि विभाग के मुताबिक जिले के किसान औसत 14 हजार 200 रुपए प्रति हेक्टेयर कीटनाशक व खाद पर किसान खर्च कर रहे हैं। जानकार बताते हैं रासायनिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती पर 35 प्रतिशत तक खर्च बच जाता है। तीन जिलों में 284 करोड़ रुपए रासायनिक खाद व कीटनाशक के सालाना बचेंगे।

ऐसे बचेंगे 284 करोड़ रुपए

निमाण में अनुमानित 14200 रुपए प्रति हेक्टेयर खाद व कीटनाशक पर सालाना खर्च होते हंै। 2 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य है। इस तरह कुल 284 करोड़ रुपए होते हैं।

रासायनिक खेती से घुल रहा जहर

लगातार रासायनिक खेती से जीवन में भी जहर घुल रहा है। कम उम्र के कैंसर रोगी मिलने लगे हैं। इसलिए सरकार नर्मदा किनारे प्राकृतिक खेती की शुरुआत कर रही है।ज् – कमल पटेल, कृषि मंत्री, मध्यप्रदेश शासन