सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंद ने स्टावेंजर में खेले जा रहे नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में एक बड़ी जीत दर्ज की है। इस टूर्नामेंट के तीसरे दौर में आर प्रगनानंद ने वर्ल्ड नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को उन्हीं के घर में हराकर इस दिग्गज पर अपनी पहली क्लासिकल फॉर्मेट जीत दर्ज की।

पिछले साल के FIDE वर्ल्ड कप में रनर-अप रहे प्रगनानंद ने सफेद मोहरों से खेलते हुए कमाल का प्रदर्शन किया। तीसरे राउंड के अंत में प्रगनानंद के 9 में से 5.5 अंक हो गए हैं और वो 6 खिलाड़ियों के टूर्नामेंट में पहले नंबर पर हैं। कार्लसन 3 अंक के साथ पांचवें स्थान पर खिसक गए हैं।

इससे पहले, प्रगनानंद रैपिड और ब्लिट्ज चेस फॉर्मेट में कार्लसन पर जीत दर्ज कर चुके हैं।

चेस में क्लासिकल फॉर्मेट क्या है?

रैपिड, ब्लिट्ज और क्लासिकल ये चेस के फॉर्मेट हैं। क्लासिकल गेम यानी खिलाड़ी को 90 मिनट के अंदर शुरुआती 40 चालें चलनी होती हैं। एक गेम जीतने पर एक अंक मिलता हैं, जबकि ड्रॉ की स्थिति में प्रत्येक खिलाड़ी को आधा अंक दिया जाता है। 2 क्लासिकल गेम के बाद ज्यादा अंक वाले प्लेयर को विजेता घोषित कर दिया जाता है।

2 क्लासिकल गेम के बाद भी बराबर अंक होने पर विजेता का फैसला रैपिड राउंड से होता है। रैपिड राउंड में 15-15 मिनट के चार गेम होते हैं। इसमें भी हर गेम जीतने पर एक अंक और बराबरी की स्थिति में आधा अंक दिया जाता है। रैपिड राउंड से भी अगर चैंपियन का फैसला नहीं होता है, तो ब्लिट्ज चेस खेला जाता है। ब्लिट्ज फॉर्मेट में 3-3 मिनट का गेम होता है। जो खिलाड़ी इसमें जीत हासिल कर लेता है उसे चैंपियन घोषित कर दिया जाता है।

रैपिड फॉर्मेट में प्रत्येक खिलाड़ी को 10 से 60 मिनट के अंदर और ब्लिट्ज में सभी चालें प्रत्येक खिलाड़ी को 10 मिनट या उससे कम के निश्चित समय में पूरी करनी चाहिए।

पिता बैंक में काम करते हैं, मां हाउस वाइफ

प्रगनानंदा का जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ। उनके पिता स्टेट कॉर्पोरेशन बैंक में काम करते हैं, जबकि मां नागलक्ष्मी एक हाउसवाइफ हैं। उनकी एक बड़ी बहन वैशाली आर हैं। वैशाली भी शतरंज खेलती हैं।

प्रगनानंदा का नाम पहली बार चर्चा में तब आया, जब उन्होंने 7 साल की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैम्पियनशिप जीत ली। तब उन्हें फेडरेशन इंटरनेशनल डेस एचेक्स (FIDE) मास्टर की उपाधि मिली।

प्रगननंदा 10 साल की उम्र में 2016 में शतरंज के सबसे युवा इंटरनेशनल मास्टर बने थे। वे 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए और सबसे कम उम्र में यह उपाधि हासिल करने वाले भारतीय बने। इस मामले में प्रगनानंदा ने भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड तोड़ा। इससे पहले, वे 2016 में यंगेस्ट इंटरनेशनल मास्टर बनने का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। तब वे 10 साल के ही थे। चेस में ग्रैंडमास्टर सबसे ऊंची कैटेगरी वाले खिलाड़ियों को कहा जाता है। इससे नीचे की कैटेगरी इंटरनेशनल मास्टर की होती है।

सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर

चेन्नई के रहने वाले प्रगनानंद ने 2018 में प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर का तमगा हासिल किया था। वे यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के सबसे कम उम्र के और उस समय दुनिया में दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे।