सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: चमकता चेहरा और चमकती आभा मंडल से अभीभूत देश के देश के प्रथम युवा प्रधानमंत्री जिनकी आधुनिक युग के निर्माण में संचार क्रांति की क्रांति लाने के लालसा और अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को उससे जोड़ने की बहुआयामी प्रतिभा से परिपूर्ण परिपूर्ण देश के हृदय पर राज करने वाले राजीव गांधी ने दुनिया में अलग पहचान डिकर भारत को संचार क्रांति से जोड़ने का जो कीर्तिमान स्थापित किया था आज पूरी दुनिया उसे अपने सर आंखों पर बैठी है। 40 वर्ष की उम्र में देश में संचार क्रांति के रूप में जनक का कीर्तिमान स्थापित करने वाले वे देश के एक खूबसूरत युवा साक्षम प्रधानमंत्री थे।
श्री राजीव गांधी सपनों सपनों को पूरा करने में विश्वास करते थे जो सियासत की ज़मीन पर कभी मेल नहीं खाती, तभी तो उनके सबसे भरोसेमंद लोगों ने उनके पैरों के नीचे की ज़मीन बारूद से भर दी. सच तो यह है कि राजीव गांधी एक सरल व्यक्ति थे जो हर किसी पर भरोसा करते थे और उनके भरोसे का भरपूर फायदा दलालों और राजनेताओं ने उठाया। राजीव गांधी की उपलब्धियों में सबसे पहले जो बात याद आती है
उन्होंने देश को 21वीं सदी में ले जाने का जो वादा किया था. और जब उन्होंने यह वादा किया, तो उस समय हम 20 वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि “महत्वपूर्ण बात यह है कि हर किसी का जीवन पूर्ण होना चाहिए, महत्वपूर्ण यह है कि जब कोई इस दुनिया को छोड़ता है तो वह अपने किए से कितना संतुष्ट है।” राजीव गांधी को शायद मृत्यु का अनुभव करने का अवसर भी नहीं मिला। लेकिन यह भी कम नहीं है की हम आज भी उस गुजरे हुए चेहरे में अपनी जिंदगी तलाशते हैं। मानो आज भी है हमारे बीच खड़े रहकर हमारे प्रेरणा स्तोत्र बने हैं।
राजीव गांधी विमान उड़ाते थे, जब वे ज़मीन पर गाड़ी चलाते थे, तो वे लगभग जहाज़ शैली में गाड़ी चलाते थे। उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी. और अक्सर जब छोटे भाई संजय गांधी उन्हें राजनीति के पाठ के बारे में जानकारी देने की कोशिश करते थे, तो राजीव गांधी उनकी पीठ पर हाथ मारकर जगा देते थे। लेकिन पहले भाई और फिर मां की मृत्यु के बाद – वह भी बेहद अमानवीय स्थिति में आ गए ।हादसों ने उनके सामने आसमान के सारे रास्ते बंद कर दिये और उन्हें स्वर्ग की हकीकत, जिसे पॉलिटिक्स कहते हैं, से गुजरना पड़ा. मैं उस दिन को कभी नहीं भूलता जब राजीव बाजूर गांधी किशोर मूर्ति भवन में अपनी मां के बिस्तर पर सबकी संवेदनाएं स्वीकार कर रहे थे। और भागदौड़ के उस भीड़ भरे माहौल में भी वे अकेला लग रहे थे,vकुछ ही घंटों बाद वह देश के प्रधानमंत्री बन गये. और कुछ ही महीनों बाद, उन्होंने जनादेश जीत लिया, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा भाव था । वे उस समय केवल 40 वर्ष के थे।
आज भी देश उनके रोम-रोम में उनकी उसी जोश भरी जवानी को याद करता है, जहां तक उनका सपना था 21वीं सदी में श्री राजीव गांधी ने पहली बार संचार का अनुभव किया था।