केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने हाल ही में आयोजित Startup Mahakumbh कार्यक्रम में एक बड़ा संदेश दिया—कि भारत के कुछ स्टार्टअप चाइनीज फॉर्मेट की नकल कर रहे हैं, और असली तकनीक व नवाचार की दिशा में योगदान देने के बजाय केवल “दुकानदार” बन गए हैं।
उनकी यह टिप्पणी खासकर 10-मिनट डिलीवरी जैसी सेवाएं देने वाले स्टार्टअप्स पर तंज के रूप में देखी जा रही है, जिसमें Zepto का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत को ऐसे स्टार्टअप चाहिए जो केवल उपभोक्ता सुविधा पर नहीं, बल्कि अनुसंधान, विज्ञान और मूल तकनीक के विकास पर केंद्रित हों।
इस आलोचना का जवाब जेप्टो के को-फाउंडर आदित पलिचा ने तीखे शब्दों में दिया। उन्होंने कहा कि आलोचना करना आसान है, लेकिन एक ऐसा प्लेटफॉर्म खड़ा करना, जो 1.5 लाख लोगों को रोजगार देता है और हर दिन लाखों ग्राहकों तक सेवा पहुंचाता है—वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है।
यह बहस भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की दो विचारधाराओं को सामने लाती है—एक ओर नीति निर्माताओं की उम्मीद है कि भारत Make in India और Startup India के तहत गहरी तकनीकी क्षमता वाला देश बने; वहीं दूसरी ओर युवा उद्यमी बाज़ार की मांग के अनुसार सेवाएं देकर आर्थिक गति और रोजगार दे रहे हैं।
सच्चाई यह है कि दोनों पक्ष अपने स्थान पर सही हैं। जेप्टो जैसे स्टार्टअप्स ने जो तेज़ी, रोजगार और लॉजिस्टिक रेवोल्यूशन किया है, वह अद्भुत है। वहीं, पीयूष गोयल का यह आग्रह भी ज़रूरी है कि भारत को सस्ती विदेशी कॉपी नहीं, बल्कि खुद की नवाचार शक्ति विकसित करनी चाहिए।
भारत को चुनने की ज़रूरत नहीं है—वह एक ऐसा देश बन सकता है जो तेज़ डिलीवरी भी करता है और वैश्विक तकनीकी नवाचारों का नेतृत्व भी।
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