सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड– न्यूज़ भोपाल: मेरे पास मां है…..आज खुश तो बहुत होगे तुम…..जब तक बैठने को न कहा जाए खड़े रहो…..
बेहतरीन सदाबहार डायलॉग लिखे गए हैं जावेद अख्तर की कलम से। अपनी लिखावट से भारतीय सिनेमा की आवाज बने जावेद अख्तर आज 79 साल के हो चुके हैं।
आज भी मुस्लिम परिवार में जन्में हर बच्चे के कानों में सबसे पहले अजान पढ़ी जाती है, लेकिन नामचीन लेखकों के घराने में जन्में जावेद अख्तर के कानों में पिता जान निसार अख्तर ने जर्मन फिलॉस्फर का स्लोगन पढ़ा। शब्द थे- “Workers of the world unite; you have nothing to lose but your chains”
तर्जुमा हुआ, “दुनियाभर के कामगार एक हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं बस तुम्हारी जंजीरें हैं। ”
इससे भी मजेदार बात ये कि जावेद अख्तर के राइटर पिता ने उनका नाम भी एक नज्म “लम्हा-लम्हा जादू का फसाना होगा” पर जादू ही रखा था। पैदाइश से जावेद का नज्म, फनकारी और हाजिरजवाबी से ऐसा अटूट रिश्ता बना, जो आज 79 सालों बाद भी लोगों का दिल जीतता रहा है। जावेद की जिंदगी में जो कुछ भी हासिल है उसका कारण उनकी नज्में हैं, चाहे तरक्की हो, सलीम खान से दोस्ती हो या शबाना आजमी का जिंदगी भर का साथ।