सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: पीथमपुर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क, जिसकी लागत **1110.6 करोड़ रुपये है, का निर्माण तेज़ी से हो रहा है। यह परियोजना भारतमाला प्रोजेक्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसका सीधा प्रभाव यहाँ के किसानों पर पड़ रहा है, जो अपनी जमीन और मुआवजे को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रोजेक्ट का महत्व:
यह परियोजना 255 एकड़ भूमि पर विकसित की जा रही है और इंदौर-टीही-दाहोद रेल लाइन और प्रस्तावित महू रिंग रोड के पास स्थित होगी। इससे माल ढुलाई की लागत में 20% तक की कमी आने की संभावना है।
हालांकि, इस महत्वाकांक्षी परियोजना ने स्थानीय किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

किसानों का विरोध:
सोमवार को जब प्रशासनिक दल पुलिस बल के साथ भूमि अधिग्रहण के लिए पहुँचा, तो किसानों ने जमकर विरोध किया। किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने उनकी सहमति के बिना उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और उनकी उपजाऊ जमीनों को नष्ट कर दिया।

किसानों के बयान:
एक किसान ने कहा:

“हमें जो मुआवजा दिया जा रहा है, वह हमारी जमीन की असली कीमत से बहुत कम है। हमारी मांग 1 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर की है।

– दूसरे किसान ने आरोप लगाया:

“प्रशासन ने बिना हमारी सहमति के जमीन पर कब्जा किया और विरोध करने पर हमें गिरफ्तार कर लिया गया।”

प्रशासन का पक्ष:
प्रशासन का कहना है कि **मुआवजा नीति** पहले से तय है और सभी किसानों को उनका हक मिलेगा। लेकिन किसानों का दावा है कि अब तक उन्हें मुआवजे की राशि नहीं मिली है।

कानूनी पहलू:
इस विवाद को लेकर किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें भूमि अधिग्रहण को रोकने की मांग की गई है। इस मामले की अगली सुनवाई **2 दिसंबर** को होगी।

संभावित लाभ:
अगर यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है, तो यह पीथमपुर और देश के व्यापार क्षेत्र को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है। बेहतर कनेक्टिविटी और इंदौर एयरपोर्ट से निकटता इसे व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बनाएगी।

निष्कर्ष:
“पीथमपुर लॉजिस्टिक पार्क” भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए किसानों के अधिकारों का सम्मान और उचित मुआवजा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।