देश की असली नीयत अक्सर उसकी राजनीति या रणनीति से ज़्यादा उसके नेताओं के शब्दों में दिखाई देती है। पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर द्वारा दिए गए हालिया बयान, जिनमें उन्होंने ‘कश्मीर को पाकिस्तान की शिरा’ बताया और ‘दो राष्ट्र सिद्धांत’ को दोहराया, एक बार फिर पाकिस्तान की जहरीली सोच को उजागर करते हैं।

  1. शब्दों में छिपा ज़हर

जनरल मुनीर ने अपने भाषण में कहा, “हिंदू और मुस्लिम जीवन के हर पहलू में अलग हैं और यह बात आने वाली नस्लों में भरनी चाहिए।” यह बयान किसी राष्ट्र के सेनाध्यक्ष के योग्य नहीं, बल्कि एक कट्टरपंथी विचारधारा का खुला समर्थन है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की सेना केवल एक सैन्य संस्था नहीं, बल्कि एक वैचारिक युद्ध का उपकरण बन चुकी है

  1. पहलगाम हमला: विचारधारा का क्रियान्वयन

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 28 निर्दोष लोगों की हत्या की गई। आतंकियों ने पहले धार्मिक पहचान पूछी, फिर गैर-मुस्लिमों को गोली मारी। यह कोई सामान्य आतंकी हमला नहीं था—यह सुनियोजित जिहादी नरसंहार था। क्या यह महज़ संयोग है कि यह हमला जनरल मुनीर के विचारों की ही प्रतिध्वनि है?

  1. दो राष्ट्र सिद्धांत: ज़हर की पुनरावृत्ति

1947 में भारत का विभाजन इसी सिद्धांत पर हुआ था, जिससे लाखों लोगों की जान गई। आज, 77 साल बाद, इसी सिद्धांत को फिर से हवा देना न केवल अविवेकपूर्ण है बल्कि भविष्य के लिए भी खतरनाक संकेत देता है।

  1. सेना या मौलवी?

एक परमाणु संपन्न राष्ट्र के सेनाध्यक्ष से जिम्मेदार और संतुलित भाषा की अपेक्षा होती है। लेकिन जनरल मुनीर की भाषा न तो सामरिक है, न ही राजनयिक। यह भाषा एक उन्मादी मौलवी की तरह लगती है, जो नफ़रत फैलाने और धार्मिक उन्माद को भड़काने का कार्य करती है।

  1. भारत को कैसे करना चाहिए जवाब

भारत को अब अपनी कूटनीति और सुरक्षा नीति दोनों को अधिक स्पष्ट, मुखर और आक्रामक बनाना होगा:

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के ऐसे जहरीले बयानों को आतंकवाद समर्थक वक्तव्यों की श्रेणी में रखा जाए।

‘इस्लामी आतंकवाद’ को उसके सही नाम से पुकारा जाए।

पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी जाए कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।

निष्कर्ष

जनरल मुनीर के शब्द केवल विचार नहीं हैं, वे चेतावनी हैं—उन विचारों की जो भारत की एकता, विविधता और सहिष्णुता पर प्रहार करते हैं। अब वक्त है कि भारत इस जहरीले एजेंडे का उसी तीव्रता से उत्तर दे—सटीक, मुखर और निर्णायक रूप से।

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