सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया  ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल :पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में जारी संघर्ष के बीच 7 दिन के संघर्ष विराम पर सहमति बन गई है। सरकारी कोशिशों के बाद आपस में लड़ रही दोनों जनजातियां इसके लिए तैयार हो गई। खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने दोनों समुदायों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय आयोग बनाने का फैसला किया है।

खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता मुहम्मद अली सैफ ने बताया कि सरकार ने दोनों समुदायों के नेताओं से बात की है। जिसके बाद सात दिन के संघर्ष विराम और एक-दूसरे को शव और बंदी लौटाने पर सहमति बनी।

पिछले हफ्ते इस संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब खैबर पख्तूनख्वा के कुर्रम जिले में अलीजई (शिया) और बागान (सुन्नी) जनजाति के संघर्ष में पैसेंजर वैन काफिले पर फायरिंग की गई। ये सभी गाड़ियां एक काफिले में पारचिनार से खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर जा रही थी।

दोनों समुदायों के बीच तीन दिन चली इस हिंसा में अब तक 64 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मरने वाली संख्या 100 से भी ज्यादा बताई जा रही है।

कुर्रम में आधी से ज्यादा आबादी शिया मुस्लिम की

पाकिस्तान में ज्यादातर आबादी सुन्नी मुस्लिम की है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अफ्गानिस्तान बॉर्डर के पास कुर्रम की 7.85 लाख की आबादी में से आधी आबादी शिया मुस्लिम की है। इस वजह से दोनों समुदायों के बीच सांप्रदायिक तनाव बना रहता है। शुक्रवार को भी हिंसा जिले के उन इलाकों में ज्यादा हुई, जहां शिया और सुन्नी समुदाय के लोग आस-पास रहते हैं।

पेशावर जा रहे गाड़ियों के काफिले पर हमला किया गया था। तस्वीर- सोशल मीडिया

सीमा विवाद की वजह से बना आतंकियों की पनाहगाह

खैबर पख्तूनख्वा को लेकर हमेशा से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव रहा है। इस वजह से कई आतंकी गुट इसे पनाहगाह की तरह इस्तेमाल करते हैं। यहां पर होने वाली आतंकी घटनाओं की एक बड़ी वजह बॉर्डर एरिया को लेकर दोनों देशों में आपसी सहमति न होना है।

दरअस्ल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक सीमा के जरिए अलग होते हैं। इसे डूरंड लाइन कहा जाता है। पाकिस्तान इसे बाउंड्री लाइन मानता है, लेकिन तालिबान का साफ कहना है कि पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा राज्य उसका ही हिस्सा है। पाकिस्तानी सेना ने यहां कांटेदार तार से फेंसिंग की है।

अफगानिस्तान पर कब्जे पर तालिबान ने पाकिस्तान से इस इलाके को खाली करने को कहा और यहां लगी फेंसिंग उखाड़ दी। पाकिस्तान ने इसका विरोध किया और वहां फौज तैनात कर दी। इसके बाद तालिबान ने वहां मौजूद पाकिस्तानी चेक पोस्ट्स को उड़ा दिया था।

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