इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद तो जैसे इसके सितारे गर्दिश में आ गए। इमरान खान ने पाकिस्तान पर अरबों डॉलर के कर्ज को चढ़ा दिया है। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब रुपये से भी ज्यादा हो चुका है। खुद पाकिस्तान के अपने ही उसकी पोल खोल रहे हैं।

पाकिस्‍तान के अमेरिका में राजदूत रह चुके हुसैन हक्‍कानी ने एक ट्वीट में  पाकिस्तान और बांग्लादेश की तुलना की। हक्कानी ने लिखा, पाकिस्तान आईएमएफ से 1958 के बाद से 22 बार कर्ज ले चुका है, जिसमें 1988 के बाद 13 बार और 2000 के बाद पांच बार। इसकी बांग्लादेश से तुलना करें तो उसे 1974 के बाद सिर्फ 10 बार आईएमएफ से कर्ज लेने की जरूरत पड़ी, जिसमें 2000 के बाद सिर्फ दो बार लिया लोन शामिल है।

हुसैन हक्कानी पाकिस्तान और बांग्लादेश की तुलना क्यों कर रहे हैं, इसे समझिए। बांग्लादेश पाकिस्तान से ही निकला एक मुल्क जिसे 1971 से पहले पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था। बांग्लादेश की जनसंख्या 16.47 करोड़ है और पाकिस्तान की आबादी 22.09 करोड़ है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भी पाकिस्तान बांग्लादेश से काफी बड़ा है। अब जीडीपी की बात करते हैं, पाकिस्तान के बाद अस्तित्व में आए छोटे से देश बांग्लादेश की जीडीपी 32,423.92 करोड़ यूएस डॉलर है। वहीं पाकिस्तान की जीडीपी 26,368.66 करोड़ यूएस डॉलर है।

संघर्षों से जूझ रहे पाकिस्तान के और ज्यादा बुरे दिन इमरान खान के सत्ता में आने के बाद शुरू हुए। विश्व बैंक की ऋण रिपोर्ट 2021 में पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेश के मुकाबले काफी खराब रेटिंग की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान कर्ज के मामले में अब श्रीलंका के बराबर जाता दिखाई दे रहा है। चीन का कर्ज पहले से ही गर्त में डूबी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और दबा रहा है। इस वित्तीय वर्ष के आखिरी में पाकिस्तान के ऊपर कुल विदेशी कर्ज 14 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा।

इसमें लगभग आधा कर्ज चीन के वाणिज्यिक बैंकों का है। पाकिस्तान ने इन बैंकों से मुख्य रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित परियोजनाओं के लिए कर्ज लिया हुआ है। विदेशी कर्ज नहीं लेने का वादा करके आई इमरान खान सरकार लगातार लोन चुकाने के लिए लोन लेती जा रही है।

हाल में ही पाकिस्तान की संसद में इमरान खान सरकार ने कबूल किया था कि अब हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है। इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये है, जो कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है। कर्ज का यह बोझ पाकिस्तानियों के ऊपर पिछले दो साल में बढ़ा है। यानी जब इमरान ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी तब देश के हर नागरिक के ऊपर 120099 रुपये का कर्ज था।