सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा नेत्र रोगों की पहचान, प्रारंभिक लक्षणों एवं उपचार के संबंध में स्वास्थ्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों का उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें आंखों की बीमारियों के प्रारंभिक लक्षण, क्लिनिकल फीचर्स, प्रबंधन एवं रेफरल के बारे में विस्तार से समझाया गया। प्रशिक्षण में आई डोनेशन की प्रक्रिया एवं उससे जुड़ी भ्रांतियां के बारे में जानकारी दी गई।
कार्यशाला में मोतियाबिंद, रिफ्रैक्टिव एरर, लो विजन, अंधत्व, कंजेक्टिवाइटिस, ग्लूकोमा,आंखों की चोट, ट्रेकोमा के लक्षणों के बारे में जानकारी दी गई। आंखों की देखभाल एवं आंखों के लिए सही खान-पांन के बारे में भी बताया गया। विजन चार्ट के उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि 3 मीटर दूर एवं 35 सेंटीमीटर से कम की दूरी पर देखने में समस्या होने पर दृष्टि होने पर चिकित्सक की सलाह पर चश्मे का उपयोग किया जाना आवश्यक है। लोगों को इस बारे में जागरूक करना जरूरी है कि आंखों में परेशानी होने बिना चिकित्सक की सलाह के आई ड्रॉप का न किया जाए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल प्रभाकर तिवारी ने बताया कि नेत्र रोगों के उपचार एवं देखभाल के लिए संचालित राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत मोतियाबिंद के नि:शुल्क ऑपरेशन, कॉर्निया प्रत्यारोपण, स्कूली बच्चों की नि:शुल्क आंखों की जांच, नि:शुल्क चश्मा वितरण किया जाता है।
भोपाल जिले में मोबाइल वैन के माध्यम से समुदाय के बीच में जाकर आंखों की निशुल्क जांच की सुविधा दी जा रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में चिकित्सकीय दल द्वारा आंखों की जांच की जाती है। कार्यक्रम के तहत जन्मजात दृष्टिदोष जैसे मोतियाबिंद , भेंगापन का उपचार नि:शुल्क किया जाता है।
प्रशिक्षण में नेत्र रोग विशेषज्ञ मयंक गुप्ता ने आंखों की संरचना एवं देखभाल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्क्रीन टाइम के बढ़ने से बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। डिजिटल उपकरणों का उपयोग सीमित करके प्रत्येक 20 मिनट के बाद 20 सेकंड के लिए आंखों को आराम देने की आदत डाली जाए।
निदेशक ऐश्वर्या रघुवंशी ने बताया कि समय समय पर आंखों की जांच करवाकर गंभीर नेत्र रोगों से बचाव किया जा सकता है। भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, खट्टे फल और विटामिन ए, सी, और ई से भरपूर खाद्य पदार्थ नेत्र स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। नियमित रूप से आंखों का व्यायाम, पर्याप्त नींद और आंखों को आराम देना भी जरूरी है।
कार्यशाला में आई डोनेशन की प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक समझाया गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेत्रदान के लिए लोगों को जागरूक एवं प्रोत्साहित कर पंजीयन करवाया जा रहा है। नेत्रदान के इच्छुक लोग राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1800114770 से विस्तृत जानकारी लेकर स्वैच्छिक पंजीयन भी करवा सकते हैं।
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