सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को छठवां दिन है। सदन शुरू होने से पहले विपक्षी INDIA ब्लॉक के नेताओं ने अडाणी और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हुए। सपा और TMC नहीं आए।

लोकसभा में उत्तर प्रदेश में संभल हिंसा पर बोलते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- ‘संभल में जो घटना हुई है, वह एक सोची समझी साजिश है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव था। संभल में भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों द्वारा पूरे देश में खुदाई की बातें देश के भाईचारे को खो देगी।’

अखिलेश यादव के बयान पर सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, ‘किसी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा कायम नहीं हुआ। जो संभल में हुआ उसी आधार पर बदायूं, जौनपुर और अजमेर शरीफ में जो हो रहा है ये सारे देश में आग लगाने की साजिश है कि नहीं?’

प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं- स्थानीय मुद्दे भी अहम हैं

शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि INDIA ब्लॉक में स्थानीय पार्टियों के मुद्दे भी अहम हैं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट कानून के साथ छेड़छाड़ हुई है। ये भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

जयशंकर बोले- भारत-चीन संबंधों में शांति और स्थिरता की बहाली पर जोर

लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि शांति और स्थिरता की बहाली भारत-चीन रिश्तों का मुख्य आधार है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत-चीन संबंधों पर चर्चा के लिए राजनयिक स्तर पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कोऑपरेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) और सैन्य स्तर पर सीनियर हाईएस्ट मिलिट्री कमांडर्स (SHMC) की बैठकें होती हैं।

जून 2020 से अब तक WMCC की 17 और SHMC की 21 बैठकें हुईं। तब जाकर 21 अक्टूबर 2024 को देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों पर समझौता हुआ। सितंबर 2022 से इन मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, जब हॉट स्प्रिंग्स पर अंतिम समझौता हुआ था।

गलवान झड़प पर विदेश मंत्री बोले- 45 साल बाद पहली बार सैनिकों की जान गई

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि जून 2020 की गलवान झड़प में 45 साल बाद पहली बार सैनिकों की जान गई और सीमा पर भारी हथियार तैनात हुए। भारत ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया और कूटनीतिक प्रयासों से तनाव कम करने की कोशिश की।

जयशंकर ने बताया कि 1988 से भारत-चीन ने सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते किए। 1993, 1996, और 2005 में शांति और विश्वास बहाली के उपाय किए गए। लेकिन 2020 की घटना ने इन प्रयासों को गंभीर नुकसान पहुंचाया और रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाला।

भारत-चीन सीमा विवाद पर जयशंकर बोले- ऐसा समाधान निकालना है, जो दोनों देशों को मंजूर हो

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि 2020 के बाद से भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। उस समय चीन की कार्रवाई से सीमा क्षेत्र में शांति भंग हुई थी। भारत और चीन बातचीत के जरिए सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत का मकसद ऐसा समाधान निकालना है, जो दोनों देशों को मंजूर हो।

जयशंकर के 2 बयान…

  1. चीन ने 1962 के युद्ध में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा, 1963 में पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन चीन को सौंप दी थी।
  2. 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन ने सीमा के पास बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए, जिससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच तनाव बढ़ा। यह स्थिति भारतीय सेना की गश्ती में रुकावट बनी। हालांकि, हमारी सेना ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया।

सपा सांसद बोले- संभल की तर्ज पर बदायूं, जौनपुर और अजमेर शरीफ में आग लगाने की साजिश

रिजिजू बोले- सदन चलने दें, हम बिना चर्चा के भी बिल पास कर सकते हैं

विपक्ष के प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘देश को चलाने के लिए संसद चलना बहुत जरूरी है। संसद की कार्यवाही अगर ठीक से नहीं होगी तो उसका सबसे ज्यादा नुकसान देश और विपक्ष के सांसदों को होता है। हम बिना चर्चा के भी बिल पास कर सकते हैं, क्योंकि हमारे पास बहुमत है। हालांकि ऐसा करना हमें ठीक नहीं लगता है।

रिजिजू ने अडाणी मुद्दे पर कहा- अगर किसी दूसरे देश में किसी भारतीय के खिलाफ कोर्ट में कोई आदेश आता है तो क्या सदन में उसकी चर्चा हमेशा जारी रहेगी? विपक्ष के कई सांसद इस बात को महसूस कर रहे हैं कि सदन को बाधित करना न तो देश हित में है और न ही विपक्ष के हित में है। हम 13 और 14 तारीख को लोकसभा में और 16 व 17 तारीख को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा करेंगे।

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