6 मई की सुबह भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध एक नया अध्याय लिखा—ऑपरेशन सिंदूर। पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर 24 मिसाइल हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब भारत आतंक के विरुद्ध सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, रणनीतिक कार्यवाही करेगा।

लेकिन जब भारत का यह कदम पूरे विश्व में चर्चित हो रहा था, अमेरिका की प्रतिक्रिया ने कई सवाल खड़े कर दिए। क्या यह चुप्पी रणनीतिक समर्थन है या फिर कूटनीतिक संकोच?

🔹 1. अमेरिका की ‘शर्मनाक स्थिति’ वाली प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पूरी स्थिति को “एक शर्मनाक स्थिति” बताते हुए कोई स्पष्ट पक्ष नहीं लिया। यह शब्द भारत को न तो समर्थन देते हैं, न ही पाकिस्तान को रोकने का संकेत देते हैं। बल्कि यह एक ऐसी भाषा है, जो राजनयिक दूरी बनाए रखने के लिए अपनाई जाती है।

🔹 2. विदेश मंत्री का ‘निगरानी’ वाला रुख

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका “स्थिति पर नजर बनाए हुए है।” यह शब्द संवेदनशील कूटनीतिक संतुलन का प्रतीक हैं। वहीं अमेरिकी दूतावास ने पाकिस्तान के लिए यात्रा परामर्श जारी कर दिया, जो तनाव की गंभीरता को तो दर्शाता है लेकिन पक्ष नहीं लेता।

🔹 3. भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों की खुली आवाज

इसके उलट कुछ भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने भारत के पक्ष में खुलकर बयान दिए और कहा कि भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। यह आवाजें अमेरिका की बहुसांस्कृतिक राजनीति का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन नीति निर्धारण का केंद्र नहीं।

🔹 4. अमेरिका की दुविधा: चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान

अमेरिका के सामने स्पष्ट दुविधा है। एक ओर भारत है—चीन को संतुलित करने वाला रणनीतिक सहयोगी। दूसरी ओर पाकिस्तान है—अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया में अमेरिका की रणनीतिक जड़ें। यही संतुलन अमेरिका को स्पष्ट बयान देने से रोकता है।

🔹 5. भारत का बदलता आत्मबल

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह किसी अंतरराष्ट्रीय समर्थन की प्रतीक्षा नहीं करेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत के आत्मविश्वास और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की उद्घोषणा है।

🔹 6. यह सिर्फ ऑपरेशन नहीं, एक परीक्षण था

यह ऑपरेशन न केवल आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई था, बल्कि वैश्विक साझेदारों की नीयत का भी परीक्षण था। अमेरिका इस परीक्षण में न तो पूरी तरह फेल हुआ, न ही भारत की अपेक्षाओं पर खरा उतर पाया।

🔚 निष्कर्ष

अमेरिका को अब यह तय करना होगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ नीति-संतुलन की भाषा बोलेगा या फिर वह उन राष्ट्रों के साथ मजबूती से खड़ा होगा जो बिना किसी लाग-लपेट के अपने नागरिकों की रक्षा करते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर भारत की निर्णायक नीति का प्रतीक है—और अमेरिका की प्रतिक्रिया, उसकी दुविधा का।

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