भोपाल । शहर के जिला अस्पताल जयप्रकाश (जेपी) में विशेषज्ञों के 45 में से 30 पद ही भरे है शेष 15 विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव बना हुआ है। इस वजह से यहां आने वाले मरीजों को परेशान होना पड रहा है। अस्पताल में दो साल के भीतर 11 चिकित्सक सेवानिवृत्त हो गए हैं, जबकि इनके बदले में सिर्फ चार विशेषज्ञ ही आए हैं। यह वे डाक्टर हैं जिन्हें बैरागढ़ सिविल अस्पताल से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन वहां ज्वाइन करने नहीं गए। बाद में उन्होंने अपना तबादला जेपी अस्पताल करा लिया। खाली पद नहीं भरे जाने की वजह से विशेषज्ञों के 45 में से 30 ही भरे हैं। यहां हर दिन ओपीडी में 1600 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं।
मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से इलाज में परेशानी हो रही है। इसे प्रदेश के लिए माडल शासकीय अस्पताल कहा जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां पर कई विभागों में एक भी विशेषज्ञ ही नहीं है। विशेषज्ञ कम होने की वजह से ओपीडी में दिखाने, आपरेशन, सोनोग्राफी आदि के लिए मरीज परेशान होते रहते हैं। नाक, कान एवं गला विभाग में विशेषज्ञों के तीन पद हैं, लेकिन एक भी भरा नहीं है। इसी तरह की स्थिति नेत्र विभाग की है। हां, यह अच्छी बात है कि चिकित्सा अधिकारियों के यहां पर 30 पद हैं , लेकिन सभी भरे हैं।
विशेषज्ञों की कमी होने की वजह से यहां डीएनबी और सीपीएस डिप्लोमा कोर्स में सीटें नहीं बढ़ पा रही हैं। शिशु रोग विभाग में तीन, सर्जरी में एक, एनेस्थीसिया में दो और हड्डी रोग विभाग में दो पद विशेषज्ञों के खाली है। उधर, गायनी विभाग चार पद हैं, लेकिन सात पदस्थ हैं। यहां पदस्थापना के लिए डाक्टर बड़ी-बड़ी सिफारिश लगाते हैं। बता दें कि जयप्रकाश अस्पताल की ओपीडी में हर दिन 1600 से 2000 हजार मरीज आ रहे हैं। जिला अस्पताल होने के नाते ज्यादातर मरीज विशेषज्ञों को दिखाने के लिए ही आते हैं, लेकिन कई बार उन्हें बिना इलाज लौटना पड़ता है या फिर चिकित्सा अधिकारियों से ही इलाज कराना पड़ता है।