अबू धाबी । अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 15 अगस्त को हुई घटनाओं के बारे में अपनी चुप्पी तोड़ी है। काबुल को संकट में छोड़ भागने के आरोपों का भी जवाब दिया है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मौजूद गनी ने कहा उन्होंने अपनी जान बचाने और राजधानी को तबाही से बचाने के लिए काबुल छोड़ने का फैसला लिया था।

गनी ने उन आरोपों का भी खंडन किया कि वह अपने देश से लाखों डॉलर लेकर भाग गए हैं। गनी ने कहा जिस दिन तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया और उनकी अपनी सरकार गिर गई। इसका उन्हें कतई अहसास नहीं था कि 15 अगस्त को उनका अफगानिस्तान में आखिरी दिन होगा। अशरफ गनी ने कहा कि उस दोपहर तक राष्ट्रपति महल में सुरक्षा ढह चुकी थी।

अगर मैं कोई स्टैंड लेता तो वे सभी मारे जाते और वे मेरा बचाव करने में सक्षम नहीं थे। गनी ने ब्रिटेन के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल निक कार्टर द्वारा आयोजित साक्षात्कार में कहा कि उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब बहुत भयभीत थे। गनी ने कहा उन्होंने मुझे दो मिनट से ज्यादा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उनके निर्देश मूल रूप से दक्षिणपूर्वी खोस्त शहर के लिए हेलीकॉप्टर से उड़ान भरने के थे।

तालिबान के काबुल पर कब्जे के बीच अपने देश के लोगों को मुश्किल घड़ी में छोड़कर भागने के आरोप गनी पर लगाए गए थे। इसके साथ ही अपने साथ लाखों डॉलर कैश ले जाने की भी खूब आलोचना हुई थी। हालांकि गनी ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा उनकी पहली चिंता राजधानी में सड़क पर होने वाली लड़ाई को रोकने के लिए थी, जो पहले से ही देश में कहीं और हिंसा से भाग रहे हजारों शरणार्थियों से भरी हुई है।