भोपाल । सावन में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि विनायक दूर्वा चतुर्थी 12 अगस्त गुरुवार को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि चतुर्थी तिथि 11 अगस्त शाम 04:53 बजे से शुरु होकर 12 अगस्त शाम 03:24 बजे तक रहेगी। इस दिन श्री गणेश की पूजन-उपासना व अर्चना करना अत्यंत लाभदायी होती है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के अलावा ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।
सावन का पूरा महीना शिव परिवार की पूजा-अर्चना के लिए बेहद खास होता है। ऐसे में सोमवार के दिन भगवान शंकर, वहीं मंगलवार को माता पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप और बुधवार को उनके पुत्र भगवान गणेश की पूजा का विधान है। सावन की विनायक चतुर्थी को 21 बार 21 दूर्वा की गाठें अर्पित करना चाहिए। इससे भगवान गणेश जी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। बिना दूर्वा के भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है। दूर्वा एक प्रकार की घास का नाम है, जो श्री गणेश को अत्ति प्रिय है। कहा जाता है कि पार्वती पुत्र को हरी दूर्वा चढ़ाने से वह भक्तों पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं साथ ही विघ्?नहर्ता अपने भक्तों के सभी विघ्नों को दूर करते हैं। सावन के बुधवार को गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कुंडली में बुध दोष का प्रभाव कम हो जाता है और भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है। ऐसा हर सावन बुधवार को करते रहें। हरी खास खिलाने के बाद गाय माता को धन्यवाद कहें। शास्त्रों के अनुसार गाय में सभी देवी-देवताओं का निवास होता है। इससे जीवन में खुशहाली आने के साथ ही कॅरियर में भी ग्रोथ मिलती है।
भगवान गणेश को दूर्वा घास क्यों है पसंद
कथा के अनुसार, एकबार अनलासुर नाम का एक राक्षस था, वह साधु-संतों को निगल लेता था। जिसके प्रकोप से चारों तरफ हाहाकार मचा। तब गणेश जी अनलासुर के पास गए और उसको ही निगल लिया। इसके बाद उनको परेशानी होने लगी और पेट में जलन होने लगी। तभी कश्यप ऋषि ने उस ताप को शांत करने के लिए गणेशजी को 21 दूर्वांस्रर खाने को दीं। इससे गणेशजी का ताप शांत हो गया। इसके बाद से ही माना जाता है कि गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने से जल्द प्रसन्न होते हैं।