सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मध्यप्रदेश का नर्सिंग महाघोटाला नए-नए खुलासों के साथ और भी गंभीर होता जा रहा है। शुक्रवार को NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने पत्रकारवार्ता में नर्सिंग कॉलेजों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर गंभीर आरोप लगाए। परमार ने सीबीआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए नर्सिंग काउंसिल और अधिकारियों पर बड़े सवाल खड़े किए।
सीबीआई की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
2023 में उच्च न्यायालय के आदेश पर शुरू हुई सीबीआई जांच की दूसरी रिपोर्ट में नर्सिंग कॉलेजों की स्थिति और भी खराब पाई गई। परमार ने बताया कि प्रदेश के 667 नर्सिंग कॉलेजों में से 309 को “डेफिसिएंट” श्रेणी में रखा गया है, जो पहली रिपोर्ट की तुलना में चार गुना अधिक है।
पहली और दूसरी रिपोर्ट का तुलनात्मक विश्लेषण
सीबीआई की पहली रिपोर्ट (फरवरी 2024):
सूटेबल (पात्र): 169 कॉलेज
डेफिसिएंट (अपर्याप्त): 73 कॉलेज
अनसूटेबल (अयोग्य): 66 कॉलेज
सीबीआई की दूसरी रिपोर्ट (नवंबर 2024):

डेफिसिएंट (अपर्याप्त): 309 कॉलेज
यह अंतर जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता और अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
नर्सिंग काउंसिल में भ्रष्टाचार का खेल
परमार ने आरोप लगाया कि सीबीआई द्वारा डेफिसिएंट घोषित किए गए कॉलेजों को इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने 2024-25 सत्र के लिए मान्यता जारी कर दी। यह काउंसिल और कॉलेज संचालकों के बीच गहरी मिलीभगत को दर्शाता है। परमार ने भोपाल के IES और मार बेसिलस नर्सिंग कॉलेज सहित दर्जनों संस्थानों की मान्यता पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, “फर्जी मान्यताएं देकर छात्रों और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है।”
फर्जी कॉलेजों की समस्या
रवि परमार ने बताया कि 2005 से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों का संचालन हो रहा है। इन कॉलेजों ने अब तक लाखों छात्रों को रजिस्ट्रेशन (डिग्री) बांट दी है। उन्होंने सभी डिग्रियों की जांच की मांग की।
हाईकोर्ट का आदेश और उच्च स्तरीय कमेटी
हाईकोर्ट ने जांच की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया, जिसमें रिटायर्ड जज, आईएएस अधिकारी और विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल हैं। इस कमेटी ने केवल 26 कॉलेजों को “सूटेबल” माना, जबकि बड़ी संख्या में कॉलेज कागजों पर चल रहे हैं।
NSUI की मांगें
NSUI ने पांच सूत्रीय मांगें पेश कीं:
2005 से अब तक जारी सभी नर्सिंग डिग्रियों की जांच हो।
डेफिसिएंट और अनसूटेबल कॉलेज तत्काल बंद किए जाएं।
दोषी अधिकारियों, दलालों और संस्थानों पर सख्त कार्रवाई हो।
छात्रों को वैकल्पिक संस्थानों में स्थानांतरित कर उनकी शिक्षा सुनिश्चित की जाए।
मान्यता प्रक्रिया पारदर्शी बनाने के लिए सख्त निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।
आंदोलन की चेतावनी
NSUI ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो वे राज्यभर में आंदोलन करेंगे। परमार ने कहा कि छात्रों और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन किया जाएगा।
यह घोटाला केवल शिक्षा प्रणाली ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था के भविष्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार की प्रतिक्रिया अब इस मामले में अहम होगी।

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