भोपाल । भारतीय वन प्रबंध संस्थान (आइआइएफएम) प्रदेश के जंगलों का आर्थिक मूल्यांकन करेगा। इसके तहत पता लगाया जाएगा कि वनों का प्रदेश के जीडीपी में हर साल कितना योगदान होता है। साथ ही एक-एक पेड़ से जो लाभ मिलता है, उसका रुपयों में क्या मूल्य है। वन हमें हवा, पानी, खनिज, लकड़ी, ईंधन, चारा, औषधियां सहित अन्य ईकोसिस्टम सेवाओं में कितना योगादान देते हैं, इसका सरकार अध्ययन करा रही है।
यह काम एक साल के अंदर पूरा हो जाएगा। प्रदेश के सभी वन मंडलों का अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इससे लोगों को उस क्षेत्र की वन संपदा के मूल्यों के संबंध में पता चल सकेगा। इसका फायदा यह होगा जब उस क्षेत्र में सरकार कोई उद्योग अथवा बड़े प्रोजेक्टों की कार्ययोजना बनाएगी तो पता रहेगा कि उस क्षेत्र की वन संपदा से सरकार के खजाने में प्रति वर्ष प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कितन राजस्व आ रहा है।
जंगल से जुड़े लोगों की अर्थव्यवस्था
अध्ययन में यह भी देखा जाएगा कि वन व वन संपदा से कितने लोगों को रोजगार मिला है, कितने लोग सीधे तौर पर वनों से जुड़कर काम कर रहे हैं और कितनों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। आदिवासियों के जीविकोपार्जन में वन संपदा, जैसे फल, फूल, कंद-मूल, शहद, गोंद सहित अन्य चीजों से प्रति वर्ष कितनी आय हो रही है। सरकार आदिवासियों को ऐसे रोजगार उपलब्ध कराती तो सरकार पर इसका कितना भार आएगा।
जंगल नहीं होने पर क्या प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी बताया जाएगा कि जंगल नहीं होने की स्थिति में लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। जंगल और पेड़-पौधों से शहर और ग्रामीण पर्यावरण पर क्या असर होगा। ग्लोबल वार्मिंग से भी जंगलों को जोड़ा जाएगा, ताकि इसका लाभ प्रदेश की सरकार को मिले। इसके बाद सरकार यह दावे के साथ किसी भी मंच पर बोल सकेगी कि कार्बन संचय से लेकर पर्यवरण संतुलन में प्रदेश के वनों का कितना योगदान है।