‘महुआ मेवा बेर कलेवा गुलचुल बड़ी मिठाई, इतनी चीजें चाहो तो गुड़ाने करो सगाई’

बुंदेलखंड में ये मशहूर कहावत बरसों से कही जा रही है। इसका मतलब है- महुआ जो मेवा की तरह है, बेर का नाश्ता और गुलचुल की मिठाई अगर ये चीजें चाहिए तो गुड़ाने यानी बुंदेलखंड में सगाई कर लो। बुंदेलखंड में महुए का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रोचक। महुए की शराब तो आपने सुनी होगी, लेकिन आज हम जायके में इसी महुए से बने डुबरी यानी महुए की खीर की कहानी लेकर आए हैं। जिसे खाने वाले की जुबान पर बुंदेलखंडी जायका एक बार चढ़ जाता है, तो फिर ताउम्र नहीं उतरता।

महसूस कीजिए ऐसा है डुबरी का जायका

यूं तो बुंदेलखंड की थाली में कई पकवान होते हैं, जैसे- ज्वार की पूड़ी, लड्डू, बाजरा की रोटी, कढ़ी, पचमेरी दरिया, मुनगा लपटा, आम का मुरब्बा, खुरमा-बतियां, मैथी के लड्डू, कुसली, इदरसे, बफोरी, गुड़ पग्गा, दही बड़ा, खुरचन-बिरचुन और सन्नाटा वगैरह-वगैरह। इन पकवानों की फेहरिस्त सौ से भी ज्यादा है, लेकिन डुबरी की बात अलग है। अलग इसलिए है, क्योंकि डुबरी बुंदेलखंड के इतिहास, यहां के भूगोल और यहां की संस्कृति का प्रतीक है।

हाई प्रोफाइल शादियों में परोसी जाती है

बुंदेलखंड के पूर्व राजघराने और जागीरदार अक्सर अपने बड़ी फैमिली फंक्शन में बुंदेली व्यंजनों को भी शामिल करते हैं। कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह बुंदेला के पुत्र सिद्धार्थ शंकर बुंदेला के शादी समारोह में स्पेशल पकवानों में डुबरी को शामिल किया गया था। वहीं, छतरपुर राजघराने के कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा जो वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं, उनकी शादी में भी बुंदेली व्यंजनों में डुबरी को शामिल किया गया था।