नई दिल्ली । देश में खाने का तेल पहले से ही महंगा चल रहा है और अब 29 अप्रैल से इंडोनेशिया पाम ऑयल का निर्यात बंद कर रहा है। इस फैसले से भारत में खाने के तेल और महंगे होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि कई तेलों में तो पाम ऑयल मिलाया भी जाता है, क्योंकि इसमें कोई महक नहीं होती है। इसका इस्तेमाल सीधे भी खाना पकाने या तमाम तरह की चीजें बनाने में भी होता है।
यह बेहद सस्ता तेल है, ऐसे में इसकी मांग दुनिया भर में रहती है। पाम ऑयल के मामले में इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, जबकि उसके बाद मलेशिया का नंबर आता है। इसके अलावा कुछ अफ्रीकी देश पाम ऑयल निर्यात करते हैं। लेटिन अमेरिका और एशिया से भी कुछ हद तक पाम ऑयल निर्यात किया जाता है।
पाम ऑयल का इस्तेमाल शैम्पू, नहाने के साबुन, टूथपेस्ट, विटामिन की गोलियां, मेक-अप आइटम, चॉकलेट आदि में भी होता है। यानी एफएमसीजी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियां पाम ऑयल की एक बड़ी ग्राहक हैं।
इतना ही नहीं, पेट्रोल-डीजल में जहां कहीं जैविक ईंधन या बायो-फ्यूल मिलाया जाता है, वह दरअसल पाम ऑयल ही होता है। यानी गाड़ियों के चलने में भी पाम ऑयल का अहम रोल है। पाम ऑयल पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वनस्पति तेल है। दुनिया भर के करीब 50 फीसदी घरेलू उत्पादों में पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है।
– इन कंपनियों पर पड़ेगा पाम ऑयल निर्यात पर रोक का असर
– यूनीलीवर ने 2016 में बताया था कि वह 10 लाख टन पाम ऑयल आयात करता है। उसने कहा था कि वह कंज्यूमर गुड्स इंडस्ट्री का सबसे बड़ा यूजर है। मतलब पाम ऑयल निर्यात बंद होने से यूनीलीवर पर तगड़ा असर होगा और कंपनी के प्रोडक्ट्स महंगे हो सकते हैं।
– 2020 में किटकैट चॉकलेट बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने करीब 4.53 लाख टन पाम ऑयल खरीदा था। इसमें से अधिकतर पाम ऑयल इंडोनेशिया से आया, जबकि कुछ मलेशिया से खरीदा गया। कंपनी लेटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों से भी पाम ऑयल खरीदती है।
– प्रॉक्टर एंड गैंबल ने 2020-21 में करीब 6.05 लाख टन पाम ऑयल खरीदा। इसका इस्तेमाल कंपनी के फैब्रिक, होम केयर कैटेगरी और कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में होता है।
– ओरियो बिस्कुट बनाने वाली कंपनी मॉन्डलेज इंटरनेशल भी भारी मात्रा में पाम ऑयल खरीदती है।
– लॉरियल कंपनी ने 2021 में 310 टन पाम ऑयल खरीदा, जिसका इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट्स में होता है।