सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: 15 साल पहले ट्रेन हादसे में अपना एक पैर गंवाने वाले नितेश कुमार ने न सिर्फ अपने जीवन को फिर से संवारने का संकल्प लिया, बल्कि पेरिस पैरालिंपिक 2024 में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर देश का नाम रोशन किया। 30 वर्षीय नितेश की कहानी एक असाधारण संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। हादसे के बाद फुटबॉल का सपना टूटने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और बैडमिंटन को अपना नया खेल चुना।

हादसे के बाद भी हिम्मत नहीं हारी

2009 में एक फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए विशाखापट्नम जा रहे नितेश का ट्रेन एक्सीडेंट हुआ, जिसमें उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया। अस्पताल में मां को रोते देख उन्होंने कहा, “मां, मैं वापसी करूंगा।” नितेश ने अपने पिता के समर्थन से न केवल इस कठिनाई से उबरने का संकल्प लिया, बल्कि IIT मंडी से बी-टेक की पढ़ाई भी पूरी की। पढ़ाई के दौरान तनाव को दूर करने के लिए उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया और यहीं से उनका करियर एक नए मोड़ पर आ गया।

पैरालिंपिक में गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन किया

नितेश ने पेरिस पैरालिंपिक में भारत को दूसरा गोल्ड मेडल दिलाया। उन्होंने कहा कि उन्हें गोल्ड की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैच दर मैच जीतते हुए जब फाइनल में पहुंचे, तो उनकी रणनीति स्पष्ट थी। उन्होंने कहा, “मैंने वही करने का सोचा जो 3 साल पहले प्रमोद भगत ने टोक्यो में किया था।”

विराट कोहली से हैं प्रेरित

नितेश कुमार ने अपने पसंदीदा खिलाड़ी के बारे में बात करते हुए कहा कि वे विराट कोहली से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “विराट खुद को बेहद फिट रखते हैं और मैंने उनके कई इंटरव्यू देखे हैं, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने 2013 से अपने खेल और फिटनेस में बदलाव किया।”

टोक्यो पैरालिंपिक मिस करने का मलाल

नितेश टोक्यो पैरालिंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर सके थे, क्योंकि उस दौरान वे अपनी पढ़ाई और फिटनेस की समस्याओं में उलझे हुए थे। लेकिन उन्होंने पेरिस के लिए कड़ी तैयारी की, जिसमें स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) और कोचों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।