सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा हटाए गए प्रतिबंध पर राजनीति शुरू हो गई है। केंद्र के इस फैसले के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि इस आदेश के बाद नौकरशाही भी अब निक्कर में आ सकती है। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री व एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे देश के लाभ वाला फैसला बताया है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा है कि केंद्र सरकार के आदेश के बाद सरकारी कर्मचारी अब RSS की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। चौहान ने कहा कि मैं इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय से अभिनंदन करता हूं। संघ साधारण संगठन नहीं है। यह राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का आंदोलन है। अपने देश के लिए जीने वाले चरित्रवान, ईमानदार, कर्मठ, परिश्रमी और सबके लिए जीने वाले देशभक्त कार्यकर्ताओं को संघ तैयार करता है और ऐसे कार्यकर्ता अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर उत्कृष्ट नेतृत्व करते हैं। कांग्रेस ने पूर्वाग्रह से त्रस्त होकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर जो प्रतिबंध लगाया था, वो हट गया है। इसका लाभ देश को होगा।
एक्स पर यह लिखा था जयराम रमेश ने
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा कि फरवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। फिर भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। वर्ष 1966 में RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में बैन लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। 4 जून 2024 के बाद स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है। 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है।
जयराम रमेश के ट्वीट पर बीजेपी मीडिया प्रभारी का पलटवार
बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के सोशल मीडिया एक्स पर किए गए ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेसियों की पीड़ा आरएसएस से नहीं, अपितु राष्ट्रवादी विचारधारा से है। तुष्टिकरण प्रेमी कांग्रेस विश्व के सबसे बड़े सामाजिक सांस्कृतिक संगठन को कैसे स्वीकार सकती है। आरएसएस, लोगों में संकल्पित भारत के प्रति विश्वास जगाती है, कांग्रेस आज भी अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की नीति के बल पर आगे बढ़ना चाहती है। अग्रवाल ने कहा कि आरएसएस, देश की अखंडता और स्वाभिमान की रक्षा कर राष्ट्रनिर्माण के लिए संकल्पित है, कांग्रेस राष्ट्रविरोधी व सनातनविरोधी ताकतों का साथ देकर उसे मजबूत बनाने की नापाक कोशिशें करती है। आरएसएस सशक्त, समर्थ, सक्षम भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाती है। वहीं कांग्रेस परिवारवाद, भ्रष्टाचार और अलवागवादियों से प्रेम जताती है। आरएसएस, देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देती है, वहीं कांग्रेस सेना सुरक्षा और शौर्य पर सवाल खड़ा कर देश को खोखला बनाती है। इसलिए इसलिये जयराम रमेश का आरएसएस से बैर रखना स्वाभाविक है।
जो तुष्टिकरण से करे प्यार, वो कैसे संघ को कर सकता है स्वीकार?
एमपी में कांग्रेस की सरकार ने प्रतिबंध लगाए
उधर इसी मामले में मंत्रालय कर्मचारी संघ के संरक्षक सुधीर नायक का कहना है कि सुंदरवाल पटवा सरकार से पहले संघ के कार्यक्रमों में जाने पर था और पटवार सरकार ने प्रतिबंध हटाया था। इसके बाद 1993 में बीजेपी सरकार हटने पर कांग्रेस की सरकार आई तो फिर प्रतिबंध लगा दिया। फिर शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनी तो संघ के कार्यक्रमों में जाने पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया। तब से एमपी में संघ की शाखाओं में कर्मचारियों के जाने पर प्रतिबंध नहीं है। कमलनाथ सरकार में जरूर इसकी बात आई थी लेकिन आदेश जारी नहीं हुए थे।