सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए डेटा संग्रह और प्रोसेसिंग को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में डिजिटल इंडिया डेटाबेस के उपयोग की घोषणा की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हालिया बयान से यह स्पष्ट होता है कि सरकार न केवल डेटा गवर्नेंस को पारदर्शी और मजबूत बना रही है, बल्कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को भी एक नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी कर रही है।

सुधरती डेटा गवर्नेंस और डिजिटल शक्ति

डेटा, 21वीं सदी का नया तेल कहा जाता है। लेकिन किसी भी देश के लिए इसका सही उपयोग तभी संभव है जब डेटा संग्रह, प्रबंधन और सुरक्षा के लिए एक ठोस रणनीति हो। सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत विकसित सेक्टोरल डेटाबेस का उपयोग करना इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे डेटा का सही विश्लेषण होगा, सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ेगी और नागरिकों तक लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

PFMS: एक नया बदलाव

सरकार द्वारा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) को ‘नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्स’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे 650 वित्तीय संस्थानों और लाखों लाभार्थियों को जोड़ा गया है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी अनुदान और योजनाओं का लाभ सही समय पर और पारदर्शिता के साथ पात्र लोगों तक पहुंचे।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि, डेटा गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और तकनीकी सक्षमता जैसी चुनौतियां भी सामने हैं। सरकार को चाहिए कि वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी नई तकनीकों का उपयोग करके डेटा सुरक्षा को और मजबूत करे। इसके अलावा, नागरिकों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम और नीतियां लागू करनी होंगी।

निष्कर्ष

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत डेटा गवर्नेंस को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया यह कदम एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है। सही दिशा में नीतियों और तकनीकी विकास के साथ, भारत जल्द ही एक डेटा-संचालित अर्थव्यवस्था के रूप में उभर सकता है, जहां हर नागरिक को पारदर्शी और प्रभावी प्रशासन का लाभ मिलेगा।

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