सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: नेपाल में राजशाही समर्थकों के प्रदर्शन के दौरान 28 मार्च को हुई हिंसक घटना पर चर्चा के लिए पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह को संसदीय समिति के समक्ष बुलाने की मांग की गई है। संसद की विधि, न्याय एवं मानवाधिकार समिति की बैठक में नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (यूएमएल) के कुछ सांसदों ने इसकी मांग की है। सांसदों ने कहा कि पूर्व राजा को चर्चा के साथ ही हिदायत देने के लिए संसदीय समिति के समक्ष बुलाना जरूरी है।
गृहमंत्री रमेश लेखक की उपस्थिति में शनिवार को हुई बैठक में सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने इस बात पर जोर दिया कि 28 मार्च की हिंसक घटना की गहन जांच के लिए पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह को भी तलब किया जाना चाहिए। नेपाली कांग्रेस के सांसद और संयुक्त महासचिव जीवन परियार ने कहा कि पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह को हिंसा की घटना में उनकी संलिप्तता के बारे में पूछताछ के लिए बुलाया जाना चाहिए। नेपाली कांग्रेस की सांसद नगीना यादव ने कहा कि पूर्व राजा को बुलाकर 28 मार्च की घटना से उनके संबंध और इस प्रदर्शन के लिए उन्होंने निर्देश दिया या नहीं, यह पूछना जरूरी है। नगीना यादव ने कहा कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है या नहीं, क्या एक नागरिक के तौर पर पूर्व राजा को ऐसा करने की अनुमति है?
सीपीएन (यूएमएल) की सांसद नैनकला थापा ने कहा कि संविधान की नजर में सभी नागरिकों को समान मानवाधिकार प्राप्त हैं। किसी को भी अराजकता और अमानवीय व्यवहार में लिप्त होने का अधिकार नहीं है। संविधान की नजर में सभी समान हैं। पूर्व राजा के मानवाधिकार सामान्य जनता के समान ही हैं, इससे अधिक कुछ नहीं, इसलिए उन्हें किसी भी बहाने से छूट नहीं देनी चाहिए। सीपीएन (यूएमएल) की मुख्य सचेतक महेश बरतौला ने 28 मार्च की हिंसक घटना में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञानेन्द्र शाह तिनकुने घटना में शामिल थे और उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। राजशाही के पक्ष में हुए प्रदर्शन में 2 लोगों की मौत हो गई थी।
बैठक में राजा समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के सांसद ध्रुव बहादुर प्रधान ने आरोप लगाया कि 28 मार्च की तिनकुने की घटना को राज्य द्वारा जानबूझकर दबाया गया। सरकार घटना की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय लीपापोती की दिशा में आगे बढ़ रही है। प्रधान ने सरकारी पक्ष पर भीड़ को उकसाने, बिना वजह प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर सैकड़ों राउंड फायरिंग करने का आरोप लगाया।
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