सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय में तीन दिवसीय “आयुर्वेद पर्व और राष्ट्रीय संगोष्ठी” का सफल आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने आयुर्वेद को भारतीय ज्ञान परंपरा का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इसके वैश्विक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को सर्वोच्च स्थान दिलाने के लिए भारत सरकार कृतसंकल्प है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद को नई पहचान मिल रही है।
मंत्री परमार ने कहा कि आयुर्वेद, जो प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है, न केवल रोगों का उपचार करता है बल्कि जीवनशैली में संतुलन बनाए रखने का मार्ग भी प्रशस्त करता है। उन्होंने आयुर्वेदिक शोध, दस्तावेजीकरण और पारंपरिक ज्ञान को सहेजने पर जोर दिया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश में 11 नए आयुर्वेद महाविद्यालय खोलने की घोषणा भी की, जिनमें से 5 महाविद्यालय अगले सत्र से कार्यरत होंगे।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
तीन दिवसीय कार्यक्रम में आयुर्वेदिक विज्ञान प्रदर्शनी, औषधियों के स्टॉल, निशुल्क चिकित्सा शिविर और 200 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया गया। विज्ञान और आयुर्वेद के एकीकरण, पुरानी बीमारियों में आयुर्वेद आधारित उपचार और डिजिटल तकनीकों के उपयोग जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए।
आयुर्वेदिक उत्पादों की प्रदर्शनी में धूतपापेश्वर, डाबर, बैद्यनाथ, और नागार्जुन जैसी नामी कंपनियों ने भाग लिया। 70 से अधिक स्टॉल्स में आयुर्वेद पंचकर्म यंत्र और औषधियों का प्रदर्शन किया गया।

विशेषज्ञों की राय
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि आयुर्वेदिक औषधियां न केवल रोगों का इलाज करती हैं बल्कि शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में भी मददगार हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का महत्व आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में लगातार बढ़ रहा है।
सम्मान और समापन
कार्यक्रम के समापन पर फार्मास्यूटिकल कंपनियों और प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। स्थानीय विधायक भगवानदास सबनानी ने संगोष्ठी की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देगा।
इस आयोजन ने आयुर्वेद को वैज्ञानिक आधार पर प्रमोट करने और इसे वैश्विक चिकित्सा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम रखा है।

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