सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : रंगमंडल, नाट्यशास्त्र अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र, भोपाल परिसर द्वारा “नाट्योत्पत्ति कथा” नाटक का भव्य मंचन रवींद्र भवन सभागृह में किया गया। यह नाटक प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी द्वारा लिखित और सुश्री संगीता गुंदेचा द्वारा निर्देशित है।
इस नाटक की विशेषता यह रही कि सभी पात्रों का अभिनय छात्राओं द्वारा किया गया। संस्कृत भाषा में प्रस्तुत इस नाटक ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विशेष रूप से, मध्यप्रदेश राज्य बालश्री एवं अहिल्या सम्मान प्राप्त भरतनाट्यम नृत्यांगना एवं अभिनेत्री तनिष्का हतवलने के नृत्य और भाव-भंगिमाओं ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
इस अद्भुत प्रस्तुति से प्रभावित होकर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने एक लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा की।
नाटक की मुख्य विशेषताएँ: नाट्यशास्त्र की उत्पत्ति को पंचम वेद के रूप में दर्शाया गया। भरतमुनि का आश्रम, ब्रह्मा, इंद्रादि देव, अप्सराओं आदि का प्रभावशाली मंचन। आंगिक और वाचिक अभिनय का क्रमिक प्रयोग, जिससे रंग ब्रह्मांड की सृष्टि का प्रयास किया गया। सभी पात्रों को छात्राओं द्वारा निभाया गया, जो सृजनात्मकता में स्त्रीतत्व की प्रधानता को दर्शाता है। संस्कृत भाषा में नाट्य मंचन, जिसने दर्शकों को एक प्राचीन काल की अनुभूति कराई।
मुख्य योगदानकर्ता: नृत्य परिकल्पना: सुश्री मेधाविनी वरखेड़ी, नृत्य संयोजन: सुश्री कल्याणी फगरे, संगीत: डॉ. हरिप्रसाद पोड्याल, गायन सहयोग: आदित्य कुडेरिया, प्रकाश व्यवस्था: डॉ. चन्नबसव स्वामी हिरेमठ, गौरव देवगत, समन्वयक: हर्षित शर्मा, आहार्य एवं निर्देशन: सुश्री संगीता गुंदेचा, संरक्षण: प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, मार्गदर्शन: प्रो. रमाकांत पांडे, प्रो. नीलाभ तिवारी, , प्रेरणा स्रोत: श्री शशधर आचार्य, श्री उदयन वाजपेयी, श्री अखिलेश, श्री अनूप जोशी, संस्कृति प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव
“नाट्योत्पत्ति कथा” ने यह सिद्ध किया कि भारतीय नाट्यशास्त्र और संस्कृत रंगमंच आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है। इस भव्य मंचन ने न केवल दर्शकों का मन मोहा, बल्कि भारतीय परंपरा और संस्कृति को भी जीवंत किया। यह नाटक रंगमंडल, नाट्यशास्त्र अध्ययन एवं अनुसंधान केंद्र, भोपाल परिसर द्वारा आयोजित किया गया।
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