सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में आयोजित नटाङ्कुश एवं अभिनयदर्पण विषय पर हैमन्तीय कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, और मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।


कार्यशाला का उद्घाटन भवभूति प्रेक्षागृह में हुआ, जिसमें कथक नृत्यांगना एवं वरिष्ठ गुरु अल्पना वाजपेयी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए अभिनय और नृत्य के समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने नाट्यशास्त्र और भरतनाट्यम् की महत्ता पर भी चर्चा की।


समापन सत्र में परिसर निदेशक रमाकांत पांडेय ने प्रतिभागियों और विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने नटाङ्कुश और अभिनयदर्पण को रंगमंच के आदर्श ग्रंथ बताते हुए इनके अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया।


कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को नाट्य और अभिनय के प्रायोगिक और सैद्धांतिक पहलुओं से परिचित कराया। नृत्य प्रशिक्षण में कथक और कलरीपायट्टु जैसे पारंपरिक कला रूपों का समावेश किया गया। प्रमुख आकर्षणों में “शर्त” एकल अभिनय, कथकली नृत्य प्रदर्शन और बांसुरी वादन शामिल थे।
कार्यशाला संयोजक सनन्दन कुमार त्रिपाठी और सह-निदेशक नीलाभ तिवारी ने इसे विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभदायक बताया। प्रतिभागियों ने इस प्रकार की कार्यशालाओं की अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया। प्रमाण-पत्र वितरण और कल्याण मंत्र के साथ यह आयोजन संपन्न हुआ।

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