सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पिछड़ा वर्ग विभाग के राष्ट्रीय संयुक्त समन्वयक व मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव विनोद सेन बताया हैं की नेशनल हेराल्ड मामलों को समझने के लिए भारत के कंपनी कानून के कुछ अनुच्छेदों को समझना जरूरी है! इस मामले को लेकर जो आरोप लगाया गया है वह मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर है लेकिन भारत के कानून में स्पष्ट है जब तक रूपयो का स्पष्ट लेनदेन नहीं होता तब तक मनी लांड्रीग साबित नहीं की जा सकती क्योंकि नेशनल हेराल्ड मामले में कंपनी का हस्तांतरण है शेयर का हस्तांतरण है अतः जिस प्रकरण में एक रुपए का लेनदेन नहीं हुआ हो , व्यापार नहीं हुआ हो उसे आप कैसे मनी लॉन्ड्रिंग मान सकते हैं!
कानूनी दृष्टि से यह है एक जटिल प्रश्न है?
जिस यंग इंडिया कंपनी को शेयर का स्थानांतरण किया गया है वह कंपनी अधिनियम 25 के तहत पंजीकृत है इस नियम में स्पष्ट लिखा हुआ है कि यह नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन रहेगा मतलब कंपनी द्वारा लाभ जो प्राप्त किया जाएगा वह न तो अंश धारकों को बाट सकेगा नहीं कंपनी के डायरेक्टर्स या प्रमोटर्स किसी प्रकार का वेतन या कोई लाभ प्राप्त कर पाएंगे!
जिस कंपनी को ही किसी प्रकार का लाभ प्राप्त करने का अधिकार नहीं है फिर उसके संचालकों पर डायरेक्टर्स पर आप कैसे आरोप लगा सकते हैं कि किसी प्रकार की मनी लॉन्ड्रिंग की गई!
सुप्रीम कोर्ट का 1955 का एक निर्णय है जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि जब किसी कंपनी के शेयर दूसरी कंपनी को हस्तांतरित किए जाते हैं, तो जिस कंपनी के शेयर हस्तांतरित किए जा रहे हैं उसकी संपत्तियों पर 100% शेयर हस्तांतरण के बाद भी दूसरी कंपनी का स्वामित्व नहीं होता है! जिस शेयर हस्तांतरित किए गए हैं!
क्योंकि मूल संपत्तियां नेशनल हेराल्ड की है उन संपत्तियों पर आज भी अधिकार मूल कंपनी एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड का है! जब यंग इंडिया के पास उन संपत्तियों का स्वामित्व ही नहीं है तो फिर उन संपत्तियों के नाम पर कैसे मनी लॉन्ड्रिंग संभव है! 90 करोड रुपए का जो कर्ज AGL पर था, उसे यंग इंडिया ने अपने ऊपर प्रभार लेकर AGL के 90% शेयर हासिल किए थे! उसके मूल में भी भावना यह थी की नई कंपनी बना दी जाए ताकि नई कंपनी ऋण मुक्त रहे और किसी प्रकार की AGL की संपत्ति नहीं बेचनी पड़े!
ना किसी ने कोई संपत्ति खरीदी ना किसी ने कोई संपत्ति बेची ना ₹1 का लेनदेन हुआ फिर कैसे मनी लेंडिंग हो गई यह सिंपल मामला अंश हस्तांतरण का है जिसे तूल देकर राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से यंग इंडिया के जो डायरेक्टर है सोनिया गांधी जी राहुल गांधी जी उनका निशाना बनाया जा रहा है यंग इंडिया में इसके अलावा स्वर्गीय मोतीलाल बोरा स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडीज और सुमन दुबे भी डायरेक्टर है !
दूसरी तरफ स्वयं भारत सरकार वोडाफोन खरीदती है जिसका शेयर मार्केट में 7,5/का रहता है और उसके लिए ₹10 का भुगतान किया जाता है क्या प्रथम प्रकरण मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा में है या दूसरा प्रकरण आप स्वयं अपना विवेक इस्तेमाल कर इस पूरी प्रक्रिया को देख सकते हैं! और नेशनल हेराल्ड के पास तो मात्र 765 करोड रुपए की संपत्ति है इस मामले में भारत सरकार ने 38000 करोड रुपए का पेमेंट किया है! श्री सेन ने कहा यह भी हमें मालूम रखना चाहिए,
पिछले 10 वर्षों में 5900 प्रकरण दर्ज हुए हैं जिनमें मात्र 26 प्रकरण ही आगे बढ़ पाए हैं और पिछले 10 वर्षों में राजनीतिक लोगों पर जितने प्रकरण दर्ज हुए हैं उनमें से 98% प्रकरण विपक्ष के नेताओं पर दर्ज हुए हैं!
अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में प्रकाशित करने का कष्ट करें।
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