सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एक नजदीकी ब्लैक होल से निकलते जेट्स पर चमकीले, ढेलेदार निशान पाए गए हैं |एस्ट्रोनॉमर्स ने नासा के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी से दशकों पुराने डेटा को खंगाला है. हैरानी की बात यह है कि एक्स-रे में देखे जाने पर ये ‘गांठें’ रेडियो तरंगदैर्ध्य (wavelength) की तुलना में अधिक तेज गति से दिखाई देती हैं. नई स्टडी का नेतृत्व मिशिगन यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट डेविड बोगेन्सबर्गर ने किया है. उन्होंने कहा कि ‘एक्स-रे डेटा से एक ऐसी तस्वीर का पता चलता है जिसे आप किसी और तरंगदैर्ध्य में नहीं देख सकते |
बोगेन्सबर्गर की स्टडी 18 अक्टूबर को The Astrophysical Journal में छपी है. यह स्टडी ऐसे वक्त में आई है, जब NASA की Chandra ऑब्जर्वेटरी का भविष्य संकट में है. वित्तीय चुनौतियों के बावजूद, NASA फिलहाल इसका ऑपरेशन जारी रखे हुए है. इसी साल जुलाई में, चंद्रा ऑब्जर्वेटरी ने 25 साल पूरे किए हैं और वैज्ञानिक इसके डेटा के महत्व का बखान करते नहीं थकते |
रेडियो vs एक्स-रे: ‘गांठों’ की अलग-अलग स्पीड है!
नई स्टडी में, बोगेन्सबर्गर और उनकी टीम ने Centaurus A आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल से जुड़ा चंद्रा टेलीस्कोप का डेटा खंगाला. यह आकाशगंगा पृथ्वी से कोई 12 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है. रिसर्च पेपर के अनुसार, कम से कम एक नई खोजी गई ‘जेट नॉट्स’ प्रकाश की गति के 94% रफ्तार से यात्रा करती हुई प्रतीत होती है. यह रेडियो ऑब्जर्वेशंस में दर्ज प्रकाश की गति के 80% से अधिक है.
बोगेन्सबर्गर ने एक बयान में कहा कि ‘इसका मतलब यह है कि रेडियो और एक्स-रे जेट नॉट्स अलग-अलग तरीके से चलते हैं. अभी भी हम इस बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं कि एक्स-रे बैंड में जेट कैसे काम करते हैं |
धरती की ओर निकलता है ब्लैक होल का एक जेट
Centaurus A की खोज 18वीं सदी के मध्य में हुई थी. लेकिन इसके ब्लैक होल से निकले वाले ट्विन जेट्स का पता नए रेडियो टेलीस्कोप आने के बाद ही चल पाया. नई स्टडी के मुताबिक, जेट का एक उत्तर-पूर्वी भाग पृथ्वी की ओर है, जबकि दूसरा भाग, जिसे काउंटरजेट कहा जाता है, दक्षिण-पश्चिम की ओर है तथा काफी धुंधला है |
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