भोपाल । प्रदेश में चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण को लेकर प्रोसेस तेजी से आगे बढ़ गई, लेकिन नर्मदा एक्सप्रेस-वे अब भी कागजों से बाहर नहीं आ सका है। 4 साल पहले इसकी कल्पना के साथ इसको केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने तुरंत स्वीकृत कर दिया। इसकी डीपीआर को लेकर कुछ वर्क भी हुआ उसके बाद राज्य में सरकार बदलते ही इसको ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया।
कुछ माह पहले एक बार फिर इसको महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मानते हुये बजट में स्वीकृति दी गई, तुरंत इसके निर्माण को लेकर प्रोसेस आरंभ करने के दावे किये गये, लेकिन एक्सप्रेस-वे का मामला अब भी जस का तस हालत में ही है। यह एक्सप्रेस-वे अब भी कागजों पर ही है, फील्ड वर्क जीरो है। एनएचएआई, एमपीआरडीसी और लोक निर्माण एनएच तीनों प्रमुख निर्माण एजेंसी को इस एक्सप्रेस-वे के विषय अभी कोई सूचना नहीं है। जिस पूर्वी मप्र के हिस्से से एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा हिस्सा गुजरना है, वहीं अभी इसको लेकर कोई जानकारी तक साझा नहीं की गई है। गौरतलब है कि नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से नर्मदा के किनारे के शहरों और फिर गुजरात की सीमा तक इसको बनाया जाना प्रस्तावित है। जो नई कल्पना इसको लेकर की गई उसमें इस एक्सप्रेस-वे को औद्योगिक एरिया से भी जोड़ा जाना है, ताकि यह मेगा प्रोजेक्ट लोगों को उद्योग, रोजगार की दृष्टि से भी उपयोगी साबित हो।
चर्चा जरूरी पर गति नहीं
जानकारों के अनुसार 3 से 4 साल पहले मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने कुछ वर्क किया भी और डीपीआर के लिए काम आगे बढ़ा पर बाद में इसको राज्य में सरकार बदलते ही भुला दिया गया। अब एक बार फिर इसकी चर्चा जरूरी है पर काम में किसी तरह की कोई गति नहीं है।
कई जिलों को जोड़ेगा
इस एक्सप्रेस-वे की प्रारंभिक लंबाई 1250 किलोमीटर के करीब बताई जा रही है। यह अमरकंटक, डिण्डौरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, खण्डवा और उससे आगे बढ़ते अलीराजपुर फिर गुजरात की सीमा तक बनाया जाना है।
अपना काम करें हमारी स्वीकृति
इधर केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इसको 4 साल पहले ही सैद्धांतिक स्वीकृत दी है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि जिस रास्ते से इस एक्सप्रेस-वे को बनाया जाना है उसमें भूमि का अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत 90 फीसदी निर्माण के लिए मिल जाती है तो हमारी स्वीकृति प्रोजेक्ट को पहले से है। शेष प्रक्रिया को अपनाने में इसके बाद वक्त नहीं लगेगा, लेकिन अब तक जमीन अधिग्रहण, डीपीआर, कंसल्टेंसी और अन्य वर्क नहीं हो सका है।
इन तक को कुछ नहीं मालूम
एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सोमेश बांझल, एमपीआरडीसी के डीएम आरपी सिंह और लोक निर्माण एनएच के ईई अनिल गौंड कहते हैं कि यह एक्सप्रेस-वे जहां से गुजरना है और किस तरीके से बनना है उन तक अभी जानकारी नहीं आई है। जैसे ही कोई आदेश आता है तो उसी के अनुसार हम प्रोजेक्ट पर वर्क शुरू कर देते हैं।