सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: इंडिया गठबंधन में लोगों ने जितना भी विश्वास इस बार दिखाया, उसने उसका सम्मान किया और बुधवार को शामिल बैठक करके घोषणा कर दी कि हम सही समय का इंतज़ार करेंगे। इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि फ़िलहाल इंडिया गठबंधन विपक्ष में ही बैठेगा। सरकार बनाने की कोई कोशिश फ़िलहाल नहीं करेंगे।

सही है, सिवाय इसके इंडिया गठबंधन के पास को चारा नहीं था। नीतीश और चंद्रबाबू ने टूटने से इनकार कर दिया है और ऐसे में इन दोनों का पेशेंस ख़त्म होने की राह तकने के अलावा विपक्ष के पास कोई चारा नहीं है। लेकिन वे विपक्ष में बैठने का साफ़ निर्णय घोषित नहीं भी करते तो कोई क्या कर लेता! कम से कम फ़िलहाल तो उन्होंने एक तरह की राजनीतिक ईमानदारी दिखा ही दी।

बहरहाल, तमाम हालात साफ़ होने के बाद आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार मिली- जुली सरकार बनने जा रही है। केंद्र में यह उनकी तीसरी सरकार होगी लेकिन अभी तक उन्होंने पूर्ण बहुमत वाली सरकार ही चलाई है। निश्चित रूप से इस बार उनके सामने नई चुनौतियाँ होंगी लेकिन जिस विश्वास के साथ वे आगे बढ़ रहे हैं, लगता है मिली- जुली सरकार को भी भली-भाँति चला लेंगे। राजनीति में कब मुलायम होना है और कब कठोर, यह वे अच्छी तरह जानते हैं।

वैसे नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की सभी माँगें मानना इतना आसान नहीं होगा लेकिन कुछ कम पर इन दोनों को मनाना वे जानते हैं। चूँकि नीतीश और नायडू पहले भी एनडीए सरकार में रह चुके हैं इसलिए वे बड़े मंत्रालय तो माँगेंगे ही, उन मंत्रालयों में और किसी की दख़लंदाज़ी न हो, इस तरह की माँग भी रख सकते हैं।

लगता है दख़लंदाज़ी न करते हुए भी निगरानी रखना प्रधानमंत्री को आता है। उधर इंडिया गठबंधन नीतीश और नायडू को अपनी तरफ़ खींचने की कोशिश में लगा हुआ तो था लेकिन देर शाम उसने इन दोनों को साफ़ कह दिया कि आओ तो दरवाज़ा खुला है और न आओ तो रास्ता खुला है।

उधर एनडीए ने तो शपथ ग्रहण की तारीख़ भी तय कर ली है और वो शायद आठ जून है। एक बार शपथ ग्रहण और मंत्रिमंडल का गठन हो जाने के बाद इंडिया गठबंधन के लिए कोई गुंजाइश वैसे भी नहीं रह जाएगी।

वैसे इस बार के चुनाव परिणाम कुछ अनोखे ही हैं। पहली बार है कि चुनाव परिणामों से चुनाव और उसकी प्रक्रिया में शामिल तमाम पक्ष खुश हैं। दुखी होने का कारण किसी के पास नहीं है। एनडीए इसलिए खुश है क्योंकि उसे पूर्ण बहुमत मिल चुका है। कांग्रेस इसलिए खुश है क्योंकि वह पिछली बार से लगभग दोगुनी संसदीय सीटों पर जीत चुकी है।