सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: नगर निगम द्वारा बकाया संपत्ति करो की वसूली  में अधिभार से छूट देने के नाम पर न्यायपालिका और आम जनता को गुमराह करने का काम किया है। माननीय न्यायालय को इस मामले में स्वत संज्ञान लेकर नगर निगम के खिलाफ कार्यवाही करते हुए शहर की जनता को इस अवैध वसूली से राहत दी जाना चाहिए।

यह बात नगर निगम के अध्यक्ष तथा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष त्रिलोकी नाथ कटारे ने कही है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों नगर निगम द्वारा आयोजित वृहद लोक अदालत के माध्यम से गत वर्ष का बकाया संपत्ति कर जमा करने वालों को अधिकार से छूट देने की सूचना समाचार पत्रों में जारी की थी। जिसके अनुसार 50 हजार तक के संपत्ति कर पर अधिकार में 100% 50 हजार से 1 लाख तक की संपत्ति कर पर 50% तथा 1 लाख से ऊपर के संपत्ति कर पर अधिभार में 25% छूट दी जाना थी।

नगर निगम की उक्त सूचना के बाद बकाया संपत्ति कर जमा करने पहुंचे करदाता उस समय हक्के-बक्के रह गए जब उन्हें बताया गया कि गत वर्ष के बकाया संपत्ति कर को जमा नहीं करने पर उक्त राशि दोगुनी हो गई है तथा उसे पर अतिरिक्त रूप से लगाई गई पेनल्टी में छूट दी जा रही है । इस प्रकार नगर निगम ने न केवल शहर की मजबूर और मजलूम जनता को गुमराह कर उनका आर्थिक और मानसिक शोषण करने का काम किया बल्कि न्यायालय को भी इस मामले में पूरी तरह गुमराह किया है।

 

इस संबंध में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों से जानकारी लेने पर यह बताया गया कि शासन ने संपत्ति करों का भुगतान चालू वित्तीय वर्ष में नहीं कर पाने पर आगामी वित्तीय वर्ष में संपत्ति कर की दर को दोगुनी करते हुए उसे पर अतिरिक्त रूप से अधिभार लगाए जाने का नियम बनाया है। जिसके कारण सिर्फ अतिरिक्त रूप से लगाए जाने वाले अधिभर पर ही छूट दी जा रही है। इस प्रकार करदाताओं को लोक अदालत के माध्यम से नाम मात्र की छूट देकर बकाया संपत्ति कर दोगुनी रूप में वसूली की गई है।

 

त्रिलोकीनाथ कटारे ने आगे कहा कि पिछले साल करो के भुगतान के लिए सरकार का पोर्टल करीब 8 माह तक बंद रहा और वित्तीय वर्ष 2023- 24 समाप्त होने के अंतिम दिनों में इसे फिर से शुरू किया गया। इसके पहले शहर की जनता अपने करों का भुगतान करने के लिए नगर निगम का कई महीनो तक चक्कर लगाती रही। लेकिन पोर्टल बंद रहने के चलते नगर निगम द्वारा उनके करों को जमा नहीं कराया गया। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में पोर्टल चालू होने के बाद होली का त्यौहार तथा अन्य कारणों से हजारों लोग मजबूरी वश अपने करों का भुगतान नहीं कर सके थे। जिसे लेकर उनके द्वारा नगर निगम प्रशासन से करो के भुगतान के लिए एक माह की छूट की मांग भी की गई थी जिसे नगर निगम प्रशासन नहीं माना था।