सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड– न्यूज़ भोपाल: 18वीं लोकसभा के गठन के साथ ही ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया, जिन्होंने ध्वनि मत से जीत हासिल की। अध्यक्ष के चुनाव के बाद अब सबकी नजरें उपसभापति पद पर हैं, जो पिछली लोकसभा में रिक्त रहा था। विपक्षी दलों ने इस बार उपसभापति पद की मांग की है, खासकर जब उन्हें 2019 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन के बावजूद सत्ता पक्ष से समर्थन नहीं मिल रहा है।
सत्तारूढ़ भाजपा नीत एनडीए ने विपक्ष की इस मांग को ठुकरा दिया है। विपक्ष ने अध्यक्ष पद के लिए समर्थन देने की शर्त पर उपसभापति पद की मांग की थी, लेकिन एनडीए के इस रुख ने विवाद को बढ़ावा दिया। अध्यक्ष पद के चुनाव में ओम बिरला और कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश के बीच मुकाबला था, जिसमें ओम बिरला ने ध्वनि मत से जीत हासिल की।
पिछली 17वीं लोकसभा में उपसभापति का पद रिक्त रहा था। 16वीं लोकसभा में यह पद भाजपा की सहयोगी एआईएडीएमके के एम थंबीदुरई के पास था। अब जब भाजपा के पास सदन में बहुमत नहीं है, उपसभापति पद के लिए खींचतान तेज हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, 18वीं लोकसभा में उपसभापति का पद निश्चित रूप से भरा जाएगा। सरकार का मानना है कि यह पद टीडीपी जैसे भाजपा के किसी सहयोगी दल को दिया जा सकता है। विपक्षी दलों को यह पद मिलने की संभावना कम है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान, उपसभापति का पद भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास था।
को नहीं मिलेगा उपसभापति का पद, एनडीए की सख्ती जारी**
नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा की शुरुआत के साथ ही ओम बिरला को ध्वनि मत से फिर से लोकसभा अध्यक्ष चुना गया है। अब सबकी निगाहें उपसभापति के पद पर हैं, जो पिछली लोकसभा में रिक्त था। इस बार विपक्ष ने सत्तारूढ़ एनडीए से इस पद की मांग की है, खासकर जब उन्हें पिछले चुनावों की तुलना में बेहतर सफलता मिली है।
हालांकि, भाजपा नीत एनडीए ने विपक्ष की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। विपक्ष ने अध्यक्ष पद के चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के बदले उपसभापति पद की मांग की थी, लेकिन एनडीए ने इसे मानने से इनकार कर दिया। अध्यक्ष पद के चुनाव में ओम बिरला और कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश के बीच मुकाबला था, जिसमें ओम बिरला को ध्वनि मत से जीत हासिल हुई।
गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा में उपसभापति का पद खाली था। 16वीं लोकसभा में यह पद भाजपा की सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके के एम थंबीदुरई के पास था। इस बार भाजपा के पास पूर्ण बहुमत नहीं है, इसलिए उपसभापति पद के लिए राजनीति गर्मा गई है।
सूत्रों का कहना है कि 18वीं लोकसभा में उपसभापति पद अवश्य भरा जाएगा। सरकार और लोकसभा अध्यक्ष का यही मानना है कि यह पद टीडीपी जैसे भाजपा के किसी सहयोगी दल को मिल सकता है। विपक्षी दलों को इस पद की संभावना नहीं दिख रही है।
उपसभापति, लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन का संचालन करते हैं और वरीयता क्रम में दसवें स्थान पर होते हैं, जबकि लोकसभा अध्यक्ष छठे स्थान पर होते हैं। इस नए सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच के तनाव ने एक बार फिर राजनीतिक खींचतान को उजागर कर दिया है।