सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्यप्रदेश में अब कैबिनेट में जाने वाले फाइनल एजेंडे को विभागीय मंत्रियों को पूरी जानकारी देने के बिना आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह व्यवस्था अनिवार्य कर दी है कि यदि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित सीनियर सेक्रेटरी कमेटी किसी एजेंडे में बदलाव करती है, तो उसकी पूरी जानकारी मंत्री को देना और दिखाना होगा।
यह व्यवस्था पहले भी थी, लेकिन अब इसे और कड़ा कर दिया गया है। पहले विभागीय मंत्री प्रस्ताव को अनुमोदित करते थे, जिसे फिर वित्त, जीएडी, लॉ और अन्य संबंधित विभागों के पास भेजा जाता था। सीनियर सेक्रेटरी कमेटी कैबिनेट एजेंडे का परीक्षण करती थी और बदलाव के बाद एजेंडा कैबिनेट प्रेसी में भेजा जाता था। लेकिन अधिकारी अक्सर लापरवाही बरतते थे और मंत्रियों को मौखिक जानकारी दी जाती थी।
हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर ध्यान दिया गया। एक मामले में, नगर पालिका और परिषद अध्यक्षों को अविश्वास से हटाने के निर्णय में सीनियर सेक्रेटरी कमेटी ने कुछ बदलाव किए थे, लेकिन विभागीय मंत्री को पूरी जानकारी नहीं दी गई थी। इस कारण, जब यह मामला कैबिनेट में आया, तो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सीनियर सेक्रेटरी कमेटी के द्वारा किए गए बदलावों की जानकारी उन्हें पूरी तरह से नहीं दी गई थी, जिससे प्रक्रिया में कमी रह गई।
वहीं, महिला बाल विकास विभाग के 364 पदों की स्वीकृति के मामले में भी वित्त विभाग ने आपत्ति की थी, लेकिन कैबिनेट ने मंत्री की मांग को मानते हुए सभी पदों की स्वीकृति दे दी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि भविष्य में कैबिनेट के एजेंडे में किसी भी प्रकार के बदलाव की पूरी जानकारी विभागीय मंत्रियों को समय पर और स्पष्ट रूप से दी जाए।