भोपाल । मध्यप्रदेश में बच्चों की आत्महत्या के मामले जितना चौंकाते हैं, उससे अधिक उसके कारण भी हैरान करने वाले हैं। सबसे अधिक आत्महत्या के मामले परीक्षा में फेल होने के कारण आए हैं, वहीं मोबाइल और किसी डर की वजह से भी इन छोटे-छोटे बच्चों ने अपना जीवन खत्म कर लिया। जबकि आत्महत्या के यह आंकड़े कोरोनाकाल में बढ़ गए हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हाल ही में संसद में बच्चों की आत्महत्या से संबंधित डाटा प्रस्तुत किया था। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 14-18 वर्ष के आयु वर्ग के 24,000 से अधिक बच्चों ने 2017 से लेकर 2019 तक यानी पिछले दो सालों में अपना जीवन खत्म कर लिया। इनमें परीक्षा में असफल होने के चार हजार से ज्यादा मामले हैं। सबसे अधिक 14 से 18 साल से कम उम्र के बच्चों की आत्महत्या के मामले हैरान करते हैं। पिछले तीन वर्षों में देश में 24 हजार से अधिक बच्चे अपना जीवन खत्म कर चुके हैं। देश में मध्यप्रदेश सबसे आगे हैं। यहां 3115 बच्चों ने आत्महत्या की है।

परीक्षा में फेल होना सबसे बड़ा कारण

4046 बच्चों ने परीक्षा में फेल होने के कारण आत्महत्या की। 411 लड़कियों सहित 639 बच्चों की आत्महत्या के पीछे शादी से जुड़ा कारण था। 3,315 बच्चों ने प्रेम प्रसंग के कारण सुसाइड कर लिया। 2,567 बच्चों ने बीमारी के कारण आत्महत्या कर ली। 81 बच्चों की मौत का कारण शारीरिक शोषण था।