जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने विभाग की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा पर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्य प्रदेश में सिंचाई के रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वर्ष 2003 में जहां प्रदेश में लगभग 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही थी, वही वर्तमान में जल संसाधन एवं नर्मदा घाटी विकास विभाग की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम् से 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है। आगामी 02 वर्षों में इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर एवं अगले 05 वर्षों में 65 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 100 लाख हेक्टेयर कर लेंगे। जल संसाधन विभाग प्रभावी एवं कुशल प्रबंधन के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए बांध निर्माण एवं सिंचाई प्रणाली के अभूतपूर्व विकास के द्वारा राज्य के विकास में महती भूमिका निभा रहा है। हम जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर आधुनिक एवं उन्नत सिंचाई प्रणाली के माध्यम से किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिये दृढ़ संकल्पित है। प्रदेश में प्रत्येक खेत तक पानी पहुंचाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है।

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश में जल के इष्टतम उपयोग कर सिंचाई क्षमता की दक्षता बढाई गई है। ऐसे क्षेत्र जहां खुली नहरों के माध्यम से सिंचाई संभव नहीं थी वहां भी उद्वहन कर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सिंचाई प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में सर्वोच्च स्थान पर है। उत्कृष्ट जल प्रबंधन के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हेतु मध्यप्रदेश को “राष्ट्रीय जल अवार्ड” महामहिम उपराष्ट्रपति द्वारा जून-2023 को प्रदान किया गया। मध्यप्रदेश में पाईप आधारित सिंचाई प्रणाली के माध्यम से किसान के 01 हेक्टेयर से 2.5 हेक्टेयर चक तक सिंचाई हेतु पानी पहुंचाया जा रहा है। ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।

श्री सिलावट ने कहा कि प्रदेश में 25 वृहद, 114 मध्यम एवं 05 हजार 692 लघु सिंचाई परियोजनाएं अर्थात कुल 5 हजार 830 परियोजनाएं पूर्ण है। इस वर्ष निर्माणाधीन वृद्ध, मध्यम् एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं से दिसम्बर-2024 तक लगभग 02 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सृजन किया गया है। वर्तमान में जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत 42 वृद्ध, 68 मध्यम् एवं 381 लघु सिंचाई परियोजनाऐं निर्माणाधीन हैं, जिनकी कुल लागत 89 हजार 30 करोड़ रूपये है। इन परियोजनाओं के शेष कार्य पूर्ण होने पर लगभग 25 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी। वर्तमान स्थिति में इन निर्माणाधीन परियोजनाओं से लगभग 10 लाख 61 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है।

वित्तीय वर्ष 2015-16 में भारत सरकार द्वारा सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि हेतु उपयोगी जल संसाधन एवं सिंचाई प्रक्रिया में बेहतर वैज्ञानिक प्रगति लाने की दृष्टि से “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” प्रारंभ की गई थी। इस योजना में आदिवासी एवं सूखाग्रस्त क्षेत्रों की सिंचाई परियोजनाओं का चयन किया गया है। सरकार द्वारा बांधों की खोई हुई जल भराव क्षमता को पुनः प्राप्त करने के लिये नीति बनाई गई है, जिसके अन्तर्गत बड़े जलाशयों से गाद को निकालकर उसमें से मिट्टी एवं रेत को पृथक् किया जावेगा। प्राप्त मिट्टी किसानों को प्रदान की जावेगी, जिससे उनके खेतों की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी। जलाशयों की जल संधारण क्षमता में वृद्धि होगी। साथ ही निकलने वाली रेत से राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।

मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि मध्यप्रदेश में देश की दो बड़ी नदी लिंक परियोजनाओं पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें केन नदी पर दौधन बांध एवं लिंक नहर का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री द्वारा 25.12.2024 को स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिवस पर दौधन बांध की आधारशिला रखी गई। रू. 44 हजार 605 करोड़ लागत की इस परियोजना के पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश के सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 08 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा तथा प्रदेश की 44 लाख आबादी को पेयजल सुविधा प्राप्त होगी, साथ ही परियोजना से 103 मेगावा बिजली का उत्पादन भी होगा, जिसका पूर्ण उपयोग मध्यप्रदेश करेगा। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 10 जिले-छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, निवाड़ी, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा एवं सागर के लगभग 02 हजार ग्रामों के लगभग 07 लाख 25 हजार किसान परिवार लाभांवित होंगे। सूखाग्रस्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर की स्थिति सुधरेगी। औद्योगीकरण, निवेश एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों में आत्मनिर्भरता आयेगी तथा लोगों का पलायन रुकेगा। परियोजना के साकार रूप लेने पर मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी।

मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि देश की प्रथम राष्ट्रीय केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना का कार्य प्रारम्भ हो चुका है एवं संशोधित-पार्वती-कालीसिंध-चम्बल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन हेतु मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों एवं केन्द्र के मध्य दिनांक 28.01.2024 को त्रिपक्षिय समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित होने के साथ ही दोनों राज्यों एवं केन्द्र के मध्य दिनांक 05.12.2024 को जयपुर में अनुबंध सहमति पत्र (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) हस्ताक्षरित किया गया है। परियोजना की अनुमानित लागत रू 72 हजार करोड़ की है जिसमें मध्यप्रदेश 35 हजार करोड़ एवं राजस्थान 37 करोड़ की हिस्सेदारी होगी। परियोजना से मध्यप्रदेश में मालवा एवं चंबल क्षेत्र के 11 जिले क्रमशः गुना, शिवपुरी, मुरैना, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, देवास, इंदौर, आगर-मालवा, शाजापुर एवं राजगढ़ जिलों में कुल 6.14 लाख हेक्टेयर नवीन सिंचाई एवं चंबल नहर प्रणाली के आधुनीकरण से भिंड मुरैना एवं श्योपुर के 3.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा सुनिश्चत की जावेगी। परियोजना से लगभग 03 हजार 150 ग्रामों की 40 लाख आबादी लाभान्वित होगी एवं इस समेकित परियोजना में मध्यप्रदेश की 19 सिंचाई परियोजनाओं को शामिल किया गया है। परियोजना से पेयजल एवं उद्योग हेतु भी जल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त परियोजनाओं में निर्मित होने वाले जलाशयों में पर्यटन, मत्स्य विकास के माध्यम से लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि पवित्र शिप्रा नदी के जल को कान्ह नदी के दूषित जल से बचाने के लिए, जल संसाधन विभाग द्वारा कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना का निर्माण किया जा रहा है 900 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली इस योजना के द्वारा कान्ह नदी के दूषित जल को शिप्रा नदी में मिलने से रोका जायेगा। इस योजना का सार्थक स्वरूप वर्ष-2028 के महाकुंभ में दिखाई देगा। वर्ष-2028 से पहले यह योजना पूर्ण कर ली जायेगी। आगामी सिंहस्थ महापर्व 2028 को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संकल्प के अनुरूप शिप्रा को वर्ष भर अविरल, प्रवहमान बनाने के लिए उज्जैन जिले की सेवरखेडी एवं सिलारखेडी (लागत लगभग 615 करोड़) योजना का कार्य आंरभ हो गया है। इससे आमजन एवं श्रद्धालुओं को पूरे वर्ष भर विशेष पर्वों पर उनकी धार्मिक भावनाओं के अनुरूप शिप्रा नदी में स्नान करने का अवसर मिलेगा। शिप्रा नदी पर सिंहस्थ में स्नान सुविधा हेतु शिप्रा नदी के दोनों तटों पर लगभग 29 किलोमीटर लंबाई में घाटों का निर्माण किया जायेगा, जिसकी राशि रू. 778.91 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है।

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने, पेयजल संकट को दूर करने एवं सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “अटल भू-जल योजना” प्रारंभ की गई है। यह योजना प्रदेश के 06 जिलों के 09 विकासखण्डों में क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना से चयनित क्षेत्रों में भू-जल स्तर में सुधार होने से स्थानीय किसानों को लाभ प्राप्त होगा तथा किसानों की आय बढ़ेगी। इसके अतिरिक्त जल जीवन मिशन के अन्तर्गत जल प्रदाय हेतु टिकाऊ जल स्त्रोत भी उपलब्ध हो सकेंगे।

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत बांधों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। बांधों की सुरक्षा को लेकर हमारी सरकार पूरी सजगता के साथ काम कर रही है। इसके लिये मध्यप्रदेश में “डैम सेफ्टी रिव्यू पेनल” गठित है, जो प्रतिवर्ष संवेदनशील बांधों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। आने वाले 05 वर्षों में प्रदेश के 27 बांधों की सुरक्षा एवं मरम्मत की जावेगी। इसके लिये विश्व बैंक के सहयोग से 551 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।

मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि जल संसाधन विभाग में वर्ष 2024-25 हेतु विभाग हेतु मूल बजट प्रावधान कुल 7248.17 करोड़ रखा गया था (पूँजीगत अनुभाग में 5788.70 करोड़ राजस्व अनुभाग (मरम्मत, रखरखाव एवं वेतन हेतु 1459.47 करोड़) जिसके विरूद्व 7634.52 करोड़ व्यय हो चुका है। वर्ष 2024-25 अनुपूरक बजट 2593.13 करोड़ प्राप्त है। आगामी वर्ष 2025-26 में विभाग हेतु मूल बजट प्रावधान कुल 9196.22 करोड़ रखा गया है जो विगत वर्ष का लगभग 22 प्रतिशत अधिक प्राप्त हुआ है।

मंत्री श्री सिलावट के वक्तव्य के पश्चात विधानसभा में जल संसाधन विभाग का रुपये 09 हजार 183 करोड़ 21 लाख 58 हजार का अनुदान मांग प्रस्ताव ध्वनि-मत से पारित कर दिया गया।

निदेशक पंकज मित्तल

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