सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को डिजिटल रूप से मजबूत करने की दिशा में हाई कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। जल्द ही मप्र पहला ऐसा राज्य बन सकता है जहां कोर्ट, पुलिस, अस्पताल और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के बीच सूचनाओं का पूरी तरह ऑनलाइन आदान-प्रदान होगा। इससे एफआईआर, चार्जशीट, पोस्टमार्टम, फारेंसिक रिपोर्ट, वारंट, समन और लीगल नोटिस जैसी जानकारी कुछ सेकंड में साझा की जा सकेगी, जबकि वर्तमान में यह प्रक्रिया कई बार महीनों तक खिंच जाती है।

पायलट फेज में तीन जिलों में होगी शुरुआत
हाई कोर्ट ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर, देवास और राजगढ़ में डिजिटल एफआईआर और केस डायरी को एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) के जरिए ऑनलाइन भेजने के निर्देश दिए हैं। इससे केस डायरी, जो पुलिस से कोर्ट तक पहुँचने में अभी एक महीने तक का समय लेती है, कुछ सेकंड में उपलब्ध हो सकेगी।

एक माह में रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (आईटी-सीएसए) कुलदीप सिंह कुशवाह और एससीआरबी के एडीजी चंचल शेखर को एक महीने के भीतर रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। इंदौर खंडपीठ के जस्टिस संजीव एस. कालगांवकर ने 35 केस डायरी पेश न होने पर संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थिति के निर्देश दिए थे।

तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर और आईसीजेएस 2.0 के तहत अतिरिक्त राशि की मांग
कोर्ट ने राज्य सरकार से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में तकनीकी सुधार के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने की अपेक्षा की है। साथ ही, मप्र एससीआरबी को केंद्र सरकार से आईसीजेएस 2.0 स्कीम के तहत अतिरिक्त राशि की मांग करने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट को विश्वास है कि केंद्र और राज्य सरकार इस दिशा में आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएंगी।

यह पहल मध्य प्रदेश में न्याय प्रक्रिया को तेज करने और न्यायिक प्रणाली में डिजिटल तकनीक के अधिकतम उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।