भोपाल । आर्थिक सुधारों के कारण प्रदेश सरकार करीब 14 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण वर्ष 2020-21 में ले सकी। इन सुधारों के चलते ही प्रदेश में निवेश करना आसान हुआ वहीं अनुदान का लाभ वास्तविक किसानों को मिलना भी सुनिश्चित हुआ है। नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारने का रास्ता भी खुल गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को अब यह सुविधा मिल गई है कि वे अपने हिस्से का खाद्यान्न् कहीं से भी ले सकते हैं। बता दें कि कोरोना की पहली लहर में जब लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था ठप हो गई थी और सरकार के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया था, तब आर्थिक सुधारों को अपनाकर मध्य प्रदेश ने व्यवस्थागत परिवर्तन किए। दरअसल, केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत राज्यों को राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसद अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति दी थी। इसमें एक प्रतिशत की अनुमति सशर्त थी। प्रदेश ने चार शर्तों को पूरा करने दिशा में कदम आगे बढ़ाए और अतिरिक्त कर्ज प्राप्त किया। प्रदेश सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए आधा प्रतिशत ऋण और लिया जा सकता है। पिछले साल लगभग 59 हजार करोड़ रुपये ऋण लिया गया था। इस बार केंद्र सरकार ने एक प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से एक प्रतिशत अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति देने की मांग कर चुकें हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वन नेशन-वन कार्ड व्यवस्था के लिए प्रदेश में 98 फीसद से ज्यादा उपभोक्ताओं को आधार से लिंक किया जा चुका है।
कोरोना संकट के समय अन्य प्रदेश में काम कर रहे प्रदेश के पात्र उपभोक्ताओं को उचित मूल्य की राशन दुकान से खाद्यान्न् लेने की सुविधा मिली है। खाद्य संचालक तरुण कुमार पिथोड़े ने बताया कि प्रदेश ने इस दिशा में त्वरित कार्य करते हुए व्यवस्था को बनाया है। केंद्र सरकार ने व्यापार करने के आड़े आने वाली प्रशासनिक जटिलताओं को दूर करने के लिए कदम उठाने पर दो हजार करोड रुपये से अधिक अतिरिक्त ऋण लेने की अनुमति दी थी। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने बताया कि इसके लिए लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम में संशोधन करके अनुमति देने के लिए अधिकतम तीस दिन की समयसीमा तय कर दी। इस अवधि में यदि अनुमति नहीं मिल पाती है तो पोर्टल से यह स्वत: आवेदक को मिल जाएगी और संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी। नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न् उपभोक्ता करों को कलेक्टर गाइड लाइन से लिंक करने के लिए भी प्रदेश को अतिरिक्त ऋण की सुविधा मिली है। इसका लाभ उठाते हुए मध्य प्रदेश ने देश में सबसे पहले नियम बनाए और उन्हें लागू किया। इसके तहत जलकर, संपत्ति कर सहित अन्य करों को कलेक्टर गाइड लाइन से लिंक करने का प्रविधान किया है।