सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला मुक्त विश्वविद्यालय के छात्रों में रोजगार योग्यता के विषय में आयोजित की गई है। कार्यशाला में भारत के 15 मुक्त विश्वविद्यालय के 21 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

इस अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के विशेषज्ञ भी जुड़ेंगे। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. चंद्र चारु त्रिपाठी, निदेशक, राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, भोपाल उपस्थित रहे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि शरणप्पा वी. हलसे, कुलपति, कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी, उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं कार्यशाला के मुख्य संरक्षक संजय तिवारी, कुलगुरु, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के साथ ही इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कार्यक्रम के संयोजक सुशील कुमार मंडेरिया भी शामिल रहे। इस कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय, कॉमन वैल्थ ऑफ लर्निंग, कनाडा एवं कॉमन वैल्थ एजुकेशन मीडिया सेंटर फॉर एशिया, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया है। इस अवसर पर सिमका के निदेशक बी. शैड्रिंक ने भी शिरकत की।

विशिष्ट अतिथि शरणप्पा वी. हालसे, कुलगुरु, कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी ने अपने उद्बोधन में कहा कि, मुक्त विश्वविद्यालय के लिए कौशल आधारित पाठ्यक्रमों की महत्ता बहुत अधिक है। मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में गुणवत्ता की कमी नहीं है। हमारे विद्यार्थी आईएएस और आईपीएस में चयनित होते हैं। उन्होंने कहा कि, रोजगार योग्यता बढ़ाने लिए अकादमिक और उद्योगों का सहयोग बहुत अधिक आवश्यक है। उन्होंने मुक्त विश्वविद्यालय के लिए शिक्षकों और पाठ्यक्रमों के गुणवत्ता में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास करने पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि, जो प्रतिभागी इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं वह यहां से जाकर अपने अनुभवों को विद्यार्थियों तक जरूर पहुंचाएं।मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. चंद्र चारु त्रिपाठी, निर्देशक, NITTTR ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, मुक्त विश्वविद्यालय किसी भी अन्य पारंपरिक विश्वविद्यालय से कम नहीं है। आजकल सरकार से ज्यादा नौकरियां व्यावसायिक क्षेत्र में मिल रही है। उन्होंने कहा कि, मुक्त विश्वविद्यालय का उद्देश्य गुणवत्ता से समझौता किए बगैर जनतांत्रिक तरीके से उच्च शिक्षा को देश के कोने-कोने तक पहुंचाना है। अगर हमें अपने सकल नामांकन अनुपात को 2030 तक 50% तक पहुंचना है। तो मुक्त विश्वविद्यालयों के बगैर यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि, पढ़ाने का तरीका कुछ भी हो पर हमारा मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में योग्यता का विकास करना है । डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि, हमारे विद्यार्थियों को ज्यादातर नौकरी इस कारण नहीं मिलती क्योंकि उनमें एप्टीट्यूड और एटीट्यूड की कमी होती है। एप्टीट्यूड को तो हम शिक्षण संस्थान में बढ़ा सकते हैं। लेकिन एटीट्यूड हमें परिवार और समाज से मिलता है।

उन्होंने मुक्त विश्वविद्यालय के लिए कुछ क्षेत्र जिसमें क।म करने की आवश्यकता है उस पर मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा डिजिटल स्किल, मूक कोर्स का निर्माण भाषा आधारित पाठ्यक्रमों का विकास , शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास , विद्यार्थियों की काउंसलिंग कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें मुक्त विश्वविद्यालय को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा किस माध्यम से दी जा रही है महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि, हम विद्यार्थियों को किस लायक बनाते हैं। उन्होंने कहा कि, नई शिक्षा नीति अभी तक की पहली शिक्षा नीति है जिसमें उच्च शिक्षा को पूरी तरह से व्यावसायिक शिक्षा में बदलने का प्रयास किया गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कार्यशाला के मुख्य संरक्षक प्रो. संजय तिवारी, कुलगुरु, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा कि, हमारे विद्यार्थियों के बेरोजगार होने का एक बहुत बड़ा कारण है कि, बाजार में जिन कौशलों की आवश्यकता है। वह हमारे विद्यार्थियों में नहीं हैं और जो हमारे विद्यार्थियों में कुशलता है वह बाजार की आवश्यकता नहीं है। रोजगार बढ़ाने के लिए हमें मुक्त विश्वविद्यालयों की एक नेटवर्किंग स्थापित करनी बहुत जरूरी है। विद्यार्थियों में सॉफ्ट स्किल का विकास करना उन्हें रोजगार पाने में बहुत सहायक सिद्ध होगा। इस दिशा में ऑनलाइन कोर्सेज की बहुत बड़ी भूमिका है। एलुमिनाई नेटवर्किंग इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
कार्यक्रम के संरक्षक सिमका के निदेशक बी सेड्रिच ने कार्यशाला आयोजन का मुख्य उद्देश्य एवं उसकी पृष्ठभूमि से अवगत कराया।
विशेषज्ञ ओ. पी. गोयल, सेवानिवृत सलाहकार, NSDC, नई दिल्ली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर कार्यशाला का संचालन विश्वविद्यालय के निदेशक रतन सूर्यवंशी द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र में काफी बड़ी संख्या में सभी मुक्त विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों सहित समस्त विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।

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