‘गार्जियन ऑफ द सी’ कौन? बांग्लादेश को भारत की सीधी चेतावनी
1. विवाद की शुरुआत:
बांग्लादेश के नोबेल विजेता डॉ. मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में ‘गार्जियन ऑफ द सी’ को लेकर जो बयान दिया, उसने भारत की रणनीतिक स्थिति को लेकर शंका पैदा करने की कोशिश की। उनका झुकाव चीन की ओर देखा गया।
2. भारत का तीखा कूटनीतिक उत्तर:
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत की इंडो-पैसिफिक भूमिका पर मजबूती से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने साफ कहा – भारत इस क्षेत्र का “नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर” है और आपदा के समय सबसे पहले मदद करने वाला देश है।
3. चीन के इशारों पर प्रतिक्रिया:
भारत की यह रणनीति अप्रत्यक्ष रूप से चीन को भी चेतावनी देती है, जो क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करता रहा है। जयशंकर का बयान स्पष्ट करता है कि भारत किसी भी ‘कथित गार्जियन’ को चुपचाप स्वीकार नहीं करेगा।
4. पड़ोसी देशों के लिए संकेत:
यह संदेश खासतौर पर बांग्लादेश के लिए है — भारत की रणनीतिक स्थिति, भरोसे और रिकॉर्ड को नजरअंदाज करना दीर्घकालिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
5. भारत की साख और कूटनीतिक पूंजी:
कोविड संकट के समय वैक्सीन सप्लाई
मालदीव, श्रीलंका, इंडोनेशिया में आपदा राहत
इंडो-पैसिफिक में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा
भारत की ये कार्रवाइयां दिखाती हैं कि वह केवल सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि विश्वसनीय भागीदार भी है।
निष्कर्ष:
‘गार्जियन ऑफ द सी’ की परिभाषा कोई पद नहीं, बल्कि आचरण से तय होती है। भारत ने इसे बार-बार सिद्ध किया है। यूनुस के बयान पर भारत की जवाबदेही सिर्फ बयानबाज़ी नहीं, बल्कि कूटनीतिक स्पष्टता का उदाहरण है।
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